ऐसा नहीं है कि वरिष्ठता सूची में यह गलती पहली बार हुई है। इससे पहले के तीन साल में बनाई गईसूची में भी दर्जनों गलतियां मिली थीं, जिसे बाद में विवि ने सुधारा। सवाल यह उठता है कि विवि को ऐसे प्रोफेसरों के बारे में भी नहीं मालूम जिनको क्षेत्र में कॉलेजों में बेहद सम्मान के साथ देखा जाता रहा है। यानी ये सभी वेलनोन प्रोफेसर रहे।
हेमचंद यादव विवि की वरिष्ठता सूची को कॉपी-पेस्ट कहना इसलिए भी गलत नहीं होगा, क्योंकि शासन ने जिन सहायक प्राध्यापक और प्राध्यापकों का तबादला किया, उनको विवि ने वरिष्ठता सूची से हटाया ही नहीं। कल्याण कॉलेज में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर डॉ. एसएन द्विवेदी काफी समय पहले कॉलेज से रिटायर हो चुके हैं, जबकि वरिष्ठता सूची में वह बरकरार हैं। राजनांदगांव दिग्विजय कॉलेज की प्रोफेसर उषा मोहबे का भी सेवानिवृत्ती सालभर पहले ही हो चुकी है।
वरिष्ठता सूची प्रकाशन के प्रभारी व सहायक कुलसचिव डॉ. सुमीत अग्रवाल ने बताया कि सूची बनाने के लिए कॉलेज को प्रोफार्माभेजा गया था, जिसमें उनके अपने प्रोफेसर व स्टाफ के बारे में विवरण मांगा गया था। यह सूची कॉलेजों से भेजे गए प्रोफार्म के आधार पर ही तैयार की गई। कॉलेजों ने प्रोफेसर व स्टाफ की जैसी जानकारी भेजी, वैसे ही प्रकाशन कर दिया गया। दावा-आपत्ति के लिए तीन महीने का समय दिया गया था, लेकिन इन मुद्दों पर आपत्तियां नहीं आईं। यह कहते हुए अपने दायित्व से पल्ला झाड़ लिया। दूसरी ओर, हर साल इसी तरह के विवादों में घिरने के बाद भी वरिष्ठता सूची के लिए बनाई गई समिति ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया और सूची ज्यों की त्यों प्रकाशित करा दी गई।
ऐसा नहीं है कि सिर्फ सहायक प्राध्यापक और प्राध्यापक की सूची में ही लापरवाही है। क्रीडाधिकारियों की सूची में पिछले साल फरवरी में रिटायर हुईभिलाई महिला महाविद्यालय की खेल अधिकारी डॉ. पूर्णिमा लाल अभी भी छात्राओं को खेल का प्रशिक्षण दे रही हैं। उनके रिटायरमेंटको विवि ने वरिष्ठता सूची में अपडेटनहीं किया। लाइब्रेरियन की वरिष्ठता सूची में बेमेतरा कॉलेज के श्रीकांत पांडेय का नाम अभी भी बेमेतरा में ही चल रहा है, जबकि उनका तबादला काफी समय पहले जगदलपुर हो चुका। सेवानिवृत्त हो चुके दो दर्जन से अधिक नाम वरिष्ठता सूची में ज्यों के त्यों हैं।
विवि प्रशासन ने वरिष्ठता सूची का प्रकाशन करने कॉलेजों को तीन तरह के प्रोफार्मा भेजे थे। कॉलेजों से जानकारियों के मिलने के बाद भी विवि को सूची तैयार करने तीन महीने का समय लगा। 11 नवंबर की स्थिति में समिति का गठन किया गया। इसी समिति से दावा-आपत्तियों का निराकरण भी किया। हालांकि जिनके सामने से सूची होकर गुजरी वह सभी नामी प्रोफेसरों मेें गिने जाते हैं, लेकिन फिर भी सूची को बेहतर ढंग से परखने के बाद ही प्रकाशन करने पर जोर नहीं दिया।
वर्तमान दौर में हेमचंद विवि से संभाग के 129 कॉलेज संबद्ध हैं। यानी उतने ही प्राचार्य भी होने चाहिए थे। वरिष्ठता सूची में प्राचार्य के सिर्फ 41 नाम शामिल हैं। बीते साल तक की वरिष्ठता सूची में यह संख्या 60 थी। इस तरह कॉलेजों के 19 प्राचार्यों को कम कर दिया गया। ये प्राचार्य कहां गए इसके बारे में विवि के पास जवाब नहीं है। कहना सिर्फ यह है कि जिसने जानकारी भेजी, उसका नाम जोड़ा गया। शेष के बारे में कोईअपडेटनहीं है।
डॉ. अरुणा पल्टा, कुलपति, हेमचंद विवि ने कहा कि वरिष्ठता सूची का प्रकाशन करने से पहले कॉलेज प्राचार्यों से जानकारी मांगी थी, लेकिन सभी ने नहीं भेजी। आपत्तियां भी कम ही आईं। विवि के पास 129 कॉलेज हैं, जिनके बारे में हर एक का विवरण कॉलेज स्तर पर ही प्राप्त किया जाता है। सूची में जो भी गलतियां है, उसको दूर कराएंगे। प्राचार्य इसलिए 49 हैं, क्योंकि शेष कॉलेज प्रभारी से संचालित हैं।