बीएसपी के ब्लास्ट फर्नेस-8 से टॉप रिकवरी टरबाइन (टीआरटी) के लिए गैस पाइपलाइन जाती है। यहां एक नेटवर्किंग वॉल्व है। ब्लास्ट फर्नेस में मटेरियल स्लीप हुआ, जिसकी वजह से टीआरटी ब्रेक हुआ और नेटवर्किंग वॉल्व बंद हो गया। इससे यू-सील में गैस का दबाव बढऩे लगा। एक समय तक सहने के बाद यहां से गैस लीक होने लगी। जानकारों के मुताबिक अगर यू-सील में लीकेज नहीं होता तो गैस का दबाव लगातार बढऩे से गैस पाइपलाइन ब्लास्ट भी हो सकती थी। यू-सील लीकेेज होने से जल्द कंट्रोल करने में मदद मिल गई और बड़ा हादसा टल गया।
3 दिन पहले ही आदेश जारी कर ब्लास्ट फर्नेस-8 को शुक्रवार से 12 घंटे के रुटीन मेंटनेंस पर लेने कहा था। इससे पहले ही हादसा हो गया। हॉट मेटल का उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है। इसका असर रेलपांत उत्पादन पर भी पड़ेगा, जिस पर अभी बीएसपी प्रबंधन का सबसे ज्यादा फोकस है। भिलाई इस्पात संयंत्र में 12 जून 2014 और और 9 अक्टूबर 2018 के दो बड़े गैस हादसे के बाद प्रबंधन जगह-जगह गैस अलार्म लगाने का दावा करता रहा है। गैस का प्रेशर 200 पीपीएम से अधिक होते ही अलार्म बज उठता है और कर्मचारी फौरन अलर्ट हो जाते हैं। ब्लास्ट फर्नेस-8 में काम कर रहे लोको स्टाफ का कहना है कि उन्हें कोई अलार्म सुनाई नहीं दी। जबकि यहां गैस का दबाव करीब 7000 पीपीएम तक पहुंच चुका था।
घटना स्थल पर मौजूद एक प्रत्यक्षदर्शी के मुताबिक रात करीब 1 बजे पटाखा फूटने जैसी जोरदार आवाज सुनाई दी। फर्नेस के पास मौजूद कर्मियों को वहां के स्टाफ ने कहा कि वे यहां से चले जाएं, गैस लीक हो रही है। इसके बाद सभी तत्काल बाहर निकले और मेनगेट की ओर चल दिए। इसके बाद उस क्षेत्र में किसी को जाने नहीं दिया गया। इधर गैस लीकेज के समय नीचे लोको ऑपरेटर के. नागराज और शंटिंग स्टॉफ अभिषेक दोनों लोको पर थे। वे लाइन नंबर-5 पर टारपीडो लेडल में ब्लास्ट फर्नेस-8 के टेप ***** से हॉट मेटल भर रहे थे। वॉकी-टॉकी पर लोको उठाओ, जिसका मतलब होता है कि लोको आगे बढ़ाओ। वे इस निर्देश को समझ पाते उसके पहले ही गैस की चपेट में आ गए।
नीचे खड़े शंटिंग स्टाफ बाला कृष्णा (30 साल) ने भी आवाज देकर कहा कि लोको को आगे बढ़ाओ। जब लोको से उसे कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला, तो वह खुद लोको में चढ़ा। वहां देखा तो मौजूद दोनों ही स्टाफ बेहोश हो चुके थे। उन्होंने अन्य स्टाफ को आवाज दी। जब तक लोग मदद के लिए पहुंच पाते बाला कृष्णा भी गैस की चपेट में आ गया। लोको के भीतर वह भी गश खाकर गिर गया। पास ही मौजूद दूसरे लोको के कर्मचारी भागकर मौके पर पहुंचे। वे पहले लोको को सुरक्षित स्थल लेबल क्रॉसिंग तक लेकर गए। वहां सभी प्रभावितों को उतारने के लिए संतोष (45 साल) और कालीदास (37 साल) लोको पर चढ़े। साथियों को नीचे उतारा, लेकिन इस बीच उनको भी गैस ने चपेट में लिया। उनको भी चक्कर आने लगा।
लोको से नागराज और अभिषेक को उतारा गया। उनके मुंह से झाग निकला हुआ था। दोनों को यूरिन भी हो चुका था। इससे साफ है कि ब्लास्ट फर्नेस के नीचे गैस का दबाव निर्धाािरत मानक से कहीं अधिक था। सभी प्रभावितों को पं. जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय व अनुसंधान केंद्र, सेक्टर-9 भेजा गया। रात करीब 2.30 बजे अस्पताल ले जातेे ही नागराज, अभिषेक और बालकृष्णा को आईसीयू में दाखिल किया गया। करीब 3.30 बजे कालीदास को भी ए-1 वार्ड में भर्ती किया गया।
लोको स्टाफ को सेक्टर-9 हॉस्पिटल रवाना करने के बाद अलसुबह करीब 5.30 बजे मुंह पर मास्क लगाकर ब्लास्ट फर्नेस के डीजीएम राजेश कुमार, (47 साल) वॉल्व बंद करने पहुंचे। वे अंतिम वॉल्व बंद कर रहे थे, तभी अचानक उनको भी चक्कर आने लगा। साथ में मौजूद कर्मचारी ने उन्हें संभाला। राजेश को भी जेएलएनएच के ए-1 वार्ड म भर्ती किया गया है।
फर्नेस-8 से निकलने वाली वेस्ट गैस का भी उपयोग किया जाता है। इस गैस से टरबाइन को चलाते हैं और बिजली उत्पन्न करते हैं। फर्नेस-8 में लगे टॉप रिकवरी टरबाइन की 14 मेगावाट बिजली उत्पादन करने की क्षमता है। सीईओ अनिर्बान दासगुप्ता नए साल के पहले दिन ही जनवरी को सुरक्षा माह घोषित करते हुए ध्वज फहराए। उन्होंने कार्मिकों से खासतौर पर कहा था कि सेफ्टी प्रथम। दूसरे दिन ही गैस रिसाव में 6 लोग प्रभावित हो गए।
डिप्टी डायरेक्टर, औद्योगिक स्वास्थ व सेफ्टी, छत्तीसगढ़ शासन केके द्विवेदी ने बताया कि बीएसपी के ब्लास्ट फर्नेस-8 से गैस अधिक मात्रा में निकली, जिससे वॉल्व बंद हो गया। इसके बाद गैस बैक प्रेशर मारी और यू-सील के ड्रेन पॉट से निकल गई। प्रबंधन को निर्देश दिया जाएगा कि गैस नियमित निकल सके, इसकी व्यवस्था की जाए। इससे फिर गैस बैक प्रेशर न मारे।