हार्ट अटैक के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज होते ही तीजन बाई ने बाहर खड़े प्रशंसकों का अभिवादन किया। इसके साथ ही देश-विदेश से उनके स्वास्थ्य लाभ के लिए दुआ करने वाले लोगों के प्रति भी उन्होंने आभार व्यक्त किया। पत्रिका से एक्सक्लूसिव बातचीत करने हुए उन्होंने का कहा कि पंडवानी उनकी सांसे है और दिल छत्तीसगढ़ में बसता है। जिंदगी के आखिरी सांस तक छत्तीसगढ़ की पावन संस्कृति को जिंदा रखने का प्रयास करती रहेंगी। लोगों के प्यार और आशीर्वाद उन्हें आग बढ़ा रहा है।
सेक्टर ९ अस्पताल से स्पेशल एंबुलेंस के जरिए उन्हें रायपुर ले जाया गया। इस दौरान डॉ. तीजन ने कहा कि सितंबर में जापान में होने वाले विशेष कार्यक्रम के लिए वे पूरी तरह तैयार हैं। थोड़े आराम के बाद जापान के प्रोग्राम की लिए तैयारी करेंगी। बतां दे कि डॉ. तीजनबाई को जापान का सबसे बड़ा सम्मान वहां की सरकार देने जा रही है। जिसे लेकर उनका परिवार काफी उत्साहित है।
दुर्ग जिले के पाटन ब्लॉक के गनियारी गांव में जन्मी तीजनबाई छत्तीसगढ़ राज्य के पंडवानी लोक गीत नाट्य शैली की पहली महिला कलाकार हैं। उनके पिता का नाम हुनुकलाल परधी और माता का नाम सुखवती था। तीजनबाई ने न सिर्फ छत्तीसगढ़ सहित भारत में बल्कि देश विदेश में अपनी कला का प्रदर्शन कर वाहवाही लूटी है। तीजनबाई की कला साधना को देखते हुए बिलासपुर विश्वविद्यालय द्वारा डी लिट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया है।
प्रख्यात पंडवानी गायिका तीजनबाई को वर्ष 1988 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री और 2003 में कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से अलंकृत किया गया। उन्हें 1995 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और 2007 में नृत्य शिरोमणि से भी सम्मानित किया जा चुका है।