डॉ. ज्ञानी ने बताया कि सोशल मीडिया और टीवी कम देखें। इसमें चलने वाली निगेटिव खबरों की वजह से बच्चों को सीरीयस एंजाइटी अटैक तक आ रहे हैं। बच्चों का सोने और जागने का स्लीपिंग पैटर्न बदल गया है। उन्हें अकेले कमरे में डर लगने जैसी शिकायतें भी होने लगी है। अभी कोरोना पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है, लेकिन एंजाइटी को समाप्त करने के लिए आपको कम से कम दो किलो मीटर पैदल जरूर चलिए।
आम तौर पर देखा गया है कि पैरेंट्स अपने बच्चों को बार-बार रोक टोक करते हैं। इसे ओवर प्रोटेक्टेड होना कहा जाता है। एक डॉक्टर के तौर पर मैं कहंूगा कि अभी कोरोना काल में पैरेंट्स का ओवर प्रोटेक्टेड होना ही बेहतर है। पैरेंट्स अपने बच्चों को कोविड बिहेवियर जरूर सिखाएं।
डॉ. ज्ञानी ने एलोपैथी वर्सेस आयुर्वेद पर भी बेबाकी से अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद और एलोपैथ जैसी कोई चीज नहीं होती। जिस दवाई में मर्ज को ठीक करने का एक पुख्ता ऐवीडेंस मिल रहा है, वही दवाई सबसे बेहतर है। इससे फर्क नहीं पड़ता कि वह दवा एलोपैथी है या आयुर्वेदिक। आप को बता दूं कि कोरोना के ट्रीटमेंट के लिए अभी तक कोई भी दवा नहीं है। डॉक्टर्स वही दवा दे रहे हैं, जिससे ज्यादा तेज फायदा हो रहा है। दवा सिर्फ बचाव के लिए है, वो है वैक्सीन। वैक्सीन लगवाने से मत बचिए। अभी यही फैक्ट है कि वैक्सीन ही आपको कोरोना से बचा सकती है।
डॉ. ज्ञानी से बताया कि अकसर लोग सिर्फ इसलिए इलाज करवाने अस्पताल नहीं आते क्योंकि उन्हें लगता है कि यदि अस्पताल गए तो उनका खजाना खाली हो जाएगा। असल में खजाना उसी का खाली होता है जो लेट अस्पातल आता है। पेशेंट जब क्रिटिकल हो जाता है तब डॉक्टर उसे बचाने के लिए हर तरह के जतन करता है। हर दवाई देकर देखता है, ताकि उसकी जान बचाई जा सके। इसमें बिल बढ़ता है। इसलिए लक्षण के पहले दिन ही डॉक्टर से संपर्क कर लें। इस वेबिनार में ग्रुप चेयरमैन संतोष रूंगटा, डायरेक्टर सोनल रूंगटा और डॉ. सौरभ रूंगटा भी जुडें। संचालन डॉ. जवाहर सूरी शेट्टी ने किया।