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भिलाई

कोरोना ने बिगाड़ा बच्चों का डेली रूटीन, सर्जिकल मास्क 10 घंटे से ज्यादा नहीं पहनें, इससे हो सकता है फंगस अटैक का खतरा

Coronaviru in CG: सर्जिकल मास्क को एक दिन से अधिक इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं करें। इसकी लाइफ 10 घंटों से ज्यादा नहीं होती। लगातार इस्तेमाल करते रहने से इसमें कीटाणु पनप जाते हैं।

भिलाईJun 01, 2021 / 01:02 pm

Dakshi Sahu

कोरोना ने बिगाड़ा बच्चों का डेली रूटीन, सर्जिकल मास्क 10 घंटे से ज्यादा नहीं पहनें, इससे हो सकता है फंगस अटैक का खतरा

कोरोना ने बिगाड़ा बच्चों का डेली रूटीन, सर्जिकल मास्क 10 घंटे से ज्यादा नहीं पहनें, इससे हो सकता है फंगस अटैक का खतरा

भिलाई . सर्जिकल मास्क (Surgical mask) को एक दिन से अधिक इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं करें। इसकी लाइफ 10 घंटों से ज्यादा नहीं होती। लगातार इस्तेमाल करते रहने से इसमें कीटाणु पनप जाते हैं। स्टडीज बताती हैं कि इससे भी ब्लैक फंगस होने का खतरा है। सर्जिकल मास्क यूज एंड थ्रू होते हैं, लेकिन इसको कई दिनों तक यूज किया जा रहा है। ये गलत है। इससे आप और बीमार हो सकते हैं। ये पते की बातें भिलाई के क्रिटिकल केयर स्पेशिलिस्ट डॉ. सत्येन ज्ञानी ने बताई हैं। वे सोमवार को संतोष रूंगटा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस में एक हजार छात्रों और फैकल्टीज के साथ ऑनलाइन जुड़े। डॉ. ज्ञानी ने बताया कि यदि कपड़े वाले मास्क इस्तेमाल करते हैं तो उसको रोज गर्म पानी में जरूर धोएं। शुगर की समस्या वाले मरीज अपना ध्यान रखें, क्योंकि इनको फंगस का खतरा ज्यादा है। नमी और ह्यमुडिटी वाली जगह पर ज्यादा नहीं रुकें।
बच्चों को आ रहे एंजाइटी अटैक
डॉ. ज्ञानी ने बताया कि सोशल मीडिया और टीवी कम देखें। इसमें चलने वाली निगेटिव खबरों की वजह से बच्चों को सीरीयस एंजाइटी अटैक तक आ रहे हैं। बच्चों का सोने और जागने का स्लीपिंग पैटर्न बदल गया है। उन्हें अकेले कमरे में डर लगने जैसी शिकायतें भी होने लगी है। अभी कोरोना पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है, लेकिन एंजाइटी को समाप्त करने के लिए आपको कम से कम दो किलो मीटर पैदल जरूर चलिए।
अच्छा है ओवर प्रोटेक्टेड रहना
आम तौर पर देखा गया है कि पैरेंट्स अपने बच्चों को बार-बार रोक टोक करते हैं। इसे ओवर प्रोटेक्टेड होना कहा जाता है। एक डॉक्टर के तौर पर मैं कहंूगा कि अभी कोरोना काल में पैरेंट्स का ओवर प्रोटेक्टेड होना ही बेहतर है। पैरेंट्स अपने बच्चों को कोविड बिहेवियर जरूर सिखाएं।
जिसमें रिजल्ट मिले, वही दवाई बेहतर
डॉ. ज्ञानी ने एलोपैथी वर्सेस आयुर्वेद पर भी बेबाकी से अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद और एलोपैथ जैसी कोई चीज नहीं होती। जिस दवाई में मर्ज को ठीक करने का एक पुख्ता ऐवीडेंस मिल रहा है, वही दवाई सबसे बेहतर है। इससे फर्क नहीं पड़ता कि वह दवा एलोपैथी है या आयुर्वेदिक। आप को बता दूं कि कोरोना के ट्रीटमेंट के लिए अभी तक कोई भी दवा नहीं है। डॉक्टर्स वही दवा दे रहे हैं, जिससे ज्यादा तेज फायदा हो रहा है। दवा सिर्फ बचाव के लिए है, वो है वैक्सीन। वैक्सीन लगवाने से मत बचिए। अभी यही फैक्ट है कि वैक्सीन ही आपको कोरोना से बचा सकती है।
इसलिए खाली हो रहा खजाना
डॉ. ज्ञानी से बताया कि अकसर लोग सिर्फ इसलिए इलाज करवाने अस्पताल नहीं आते क्योंकि उन्हें लगता है कि यदि अस्पताल गए तो उनका खजाना खाली हो जाएगा। असल में खजाना उसी का खाली होता है जो लेट अस्पातल आता है। पेशेंट जब क्रिटिकल हो जाता है तब डॉक्टर उसे बचाने के लिए हर तरह के जतन करता है। हर दवाई देकर देखता है, ताकि उसकी जान बचाई जा सके। इसमें बिल बढ़ता है। इसलिए लक्षण के पहले दिन ही डॉक्टर से संपर्क कर लें। इस वेबिनार में ग्रुप चेयरमैन संतोष रूंगटा, डायरेक्टर सोनल रूंगटा और डॉ. सौरभ रूंगटा भी जुडें। संचालन डॉ. जवाहर सूरी शेट्टी ने किया।

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