Kumhari bus accident: बस हादसे के पीड़ितों से मिलने के बाद, गृह मंत्री विजय शर्मा ने ये कहा, देखें VIDEO
यहां सत्ती चौरा की स्थापना कब हुई इसकी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है, लेकिन यहां आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त किसी माता के सती हो जाने की बात प्रचलित है। पुराने जानकार लोगों के हवाले से समिति के योगेंद्र बंटी शर्मा बताते हैं कि किसी वजह से विचलित सती माता ने योग बल से अग्नि प्रज्ज्वलित किया और उसमें खुद को समर्पित कर दिया। जिस जगह पर माता सती हुई थीं, उस जगह पर चबूतरे के निर्माण कर दिया गया, जो आज सत्ती चौरा के नाम से विख्यात है।सत्ती चौरा दुर्गा मंदिर में कन्या भोज की अपनी ही विशिष्ट परंपरा है। चैत्र नवरात्रि में मंदिर पहुंचने वाली सभी कन्याओं का पूजन कार भोज कराया जाता है। वहीं क्वांर नवरात्रि में शहर भर की कन्याओं को भोज के लिए आमंत्रित किया जाता है। मंदिर से जुड़े श्रद्धालु कन्याओं को माता के रूप में सजाते हैं और चरण धोकर सामूहिक भोज कराते हैं। कन्याओं को उपहार भी दिया जाता है। पिछली बार 3000 कन्याओं के भोज कराया गया था।
प्राचीन सती स्थल के कारण विख्यात सत्ती चौरा में पूजा अर्चना से जहां लोगों की पीड़ा समाप्त होती है, वहीं मां दुर्गा की कृपा से हर काम निर्विध्न संपन्न हो जाता है। इसलिए इस मंदिर की देशभर में ख्याति है। देवी मां में अपनी आस्था प्रकट करने देशभर के श्रद्धालु ज्योति कलश प्रज्जवलित कराते हैं। इनमें मुंबई, नागपुर, अमरावती, दिल्ली के भी श्रद्धालु शामिल हैं। ब्राजील से भी किसी श्रद्धालु ने यहां इस बार ज्योत जलवाया है। मंदिर में इस बार 381 ज्योति कलश प्रज्ज्वलित किए गए हैं।