बीएसएफ के अधिकारियों के मुताबिक आर्मी से लेकर सभी पैरामिल्ट्रिी फोर्स में इस वीकल का उपयोग किया जाता है। जबलपुर में तैयार होने वाली इन गाडिय़ों की अलग ही खासियत है। इसकी पूरी बॉडी बुलेट प्रूफ है। शीशे भी बुलेट प्रूफ है। लैंडमाइंस का भी इस पर असर नहीं होता। वहीं इसमें उपर की ओर लाइट मशीन गन चलाने के लिए जगह बनी हुई है, जिससे जवान खुद को सुरक्षित रखते हुए आसानी से दुश्मनों को टारगेट कर सकता है। बार्डर के साथ-साथ आंतरिक सुरक्षा में इन गाडिय़ों का उपयोग किया जाता है। सुमन्दर दबास, डीआईजी(पीएसओ) ने बताया कि बीएसएफ छत्तीसगढ़ के पास हाल ही में 10 एमपीवी आई है। दुर्ग से इसके रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद इन्हें माओवादी क्षेत्र में तैनात बीएसएफ की बटालियन और सीओबी में भेजा जाएगा। इसके आने के बाद माओवादी क्षेत्र में सेंध मारना और भी आसान हो जाएगा।
बीएसएफ के सीमांत मुख्यालय (स्पेशल ऑप्स) के तहत आने वाले भिलाई और दुर्ग का सेक्टर हेड क्वार्टर अब भिलाई से कांकेर और भानुप्रपातपुर में शिफ्ट होगा। दोनों हेड क्वार्टर के शिफ्ट होने के बाद बीएसएफ ग्रामीणों के और नजदीक पहुंचेगा। सेक्टर हेड क्वार्टर के वहां शुरू होने के बाद न सिर्फ जवानों, अधिकारियों को अपने काम से लेकर आसानी होगी, बल्कि ग्रामीणों को भी खासकर मेडिकल जैसी सुविधाएं भी आसानी से मिलेगी। सेक्टर हेड क्वार्टर में भी मेडिकल टीम होने की वजह से उन्हें भी इसका फायदा मिलेगा। इसके साथ ही अब छत्तीसगढ़ में बीएसएफ का सीमांत मुख्यालय बैंग्लोर की बजाए भुवनेश्वर ओडिशा से संचालित होगा। बीएसएफ के डीआईजी (पीएसओ) सुमन्दर दबास ने बताया कि कांकेर और भानुप्रपापुर पुलिस को प्रस्ताव दे दिया गया है। जल्द ही वे जमीन से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर की व्यवस्था करेंगे जिसके बाद हेडक्वार्टर वहां शिफ्ट होंगे। पत्रकारवार्ता में उन्होंने बीएसएफ की उपलब्धियों को भी बतायाइस अवसर पर सेकंड इन कमान(जी) संजय सिंह, सेकंड इन कमान(ऑप्स) प्रभाकर सिंह, सीएमओ(कमाण्डेंट) भारती सेन मौजूद थे।
डीआईजी दबास ने बताया ग्रामीणों के और करीब पहुंचने बीएसएफ रावघाट क्षेत्र के बीएसपी के गोदित 22 गांवों में 50 लाख की मदद करेगा। इसमें वे सिविक एक्शन प्लान के तहत मेडिकल कैंप, महिला स्वास्थ्य, स्कूली बच्चों की पढ़ाई से संबंधित उनकी जरूरतों का सामान, आदि की व्यवस्था करेंगे।
उन्होंने बताया कि 13 साल में बीएसएफ के 24 जवान नक्सल ऑपरेशन में ड्यूटी के दौरान शहीद हुए। उसके बावजूद भी सभी के हौसले बुलंद है। अपने साथियों की शहादत को याद कर सभी जवान नक्सलीक्षेत्र में पूरी निष्ठा के साथ तैनात हैं , जिसकी वजह से अब माओवादियों को पीछे हटना पड़ रहा है।