कलेक्टर ने कहा कि सेक्टर 9 हॉस्पिटल देश का प्रतिष्ठित संस्थान है। इसकी स्थिति निरंतर बेहतर हो और यह देश के सबसे शीर्ष मेडिकल संस्थानों में से एक हो, इस दिशा में हम सबको मिलकर काम करना है ताकि दुर्ग जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बेहतरीन हो। इस दिशा में जिला प्रशासन द्वारा हर संभव सहयोग सेक्टर 9 हॉस्पिटल को किया जाएगा। चाहे मैनपॉवर के संबंध में हो, विशेषज्ञ चिकित्सकों के संबंध में हो, अथवा किसी तरह से स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने अन्य तरीके के प्रयोग हो, इस दिशा में अस्पताल प्रबंधन जो प्रस्ताव रखेगा। उस पर विचार कर राज्य शासन के मार्गदर्शन से इस पर प्रभावी अमल किया जाएगा। प्रस्ताव आने के बाद सहमति मिलने पर एमओयू हो सकेगा।
सेक्टर 9 अस्पताल में जिले के नागरिकों को भी बिना बाहर का रूख किए स्तरीय इलाज मिल पाएगा। उन्होंने कहा कि चूंकि सेक्टर 9 हॉस्पिटल में प्रभावी अधोसंरचना पहले ही मौजूद है इसलिए यहां पर कुछ अतिरिक्त कदम उठाकर हम बेहतरीन स्वास्थ्य अधोसंरचना बना सकते हैं। इसका लाभ सेल एंप्लाई को भी मिलेगा और दुर्ग के नागरिकों को भी इसका पूरा लाभ मिल पाएगा। उल्लेखनीय है कि सेक्टर 9 हॉस्पिटल में 800 बेड की सुविधा है। अस्पताल की बड़ी क्षमता को देखते हुए इसे अद्यतन करने अतिरिक्त योजना के क्रियान्वयन होने पर जिले की बड़ी आबादी को पहले से ज्यादा लाभ मिल सकता है।
बहुत जल्द पब्लिक सेक्टर यूनिट के सबसे बड़े अस्पताल सेक्टर-9 की तस्वीर बदलने वाली है। भिलाई नगर विधायक देवेंद्र यादव ने 2 जून को भूपेश सरकार से सेक्टर-9 अस्पताल को मेडिकल कॉलेज बनाने की मांग की थी। देवेंद्र ने तब तर्क देते हुए कहा था कि छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध और भिलाई के सबसे बड़े हॉस्पिटल सेक्टर-9 हॉस्पिटल को मेडिकल कॉलेज का दर्जा देना चाहिए। बीएसपी द्वारा सन 1955 से संचालित है। यहां भिलाई स्टील प्लांट के कर्मियों के अलावा प्रदेश व देशभर के लोग उपचार कराने के लिए आते हैं। मेडिकल कॉलेज का दर्जा मिलने से काफी सुविधाएं बढ़ेगी। देवेंद्र की इस पहल के बाद कल कलेक्टर कॉन्फ्रेंस मीटिंग में सीएम भूपेश ने कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे को निर्देश दिए कि सेक्टर-9 अस्पताल को पहले की तरह अपग्रेड किया जाए। इसके लिए रोडमैप बनाए। जो भी जरूरी चीजों की आवश्यकता होगी, उसके लिए सेल प्रबंधन से बात करें और सरकार भी मदद करेगी।
सेक्टर-9 को मेडिकल कॉलेज बनाने का प्रपोजल लगभग 46 साल से चला आ रहा है। 1974 में भिलाई इस्पात संयंत्र के 4 मिलियन टन उत्पादन क्षमता विस्तार के साथ ही नागरिक सुविधाओं में बढ़ोतरी को लेकर भी योजना बनाई गई। इसके तहत संयत्र आधिपत्य क्षेत्रों में स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर जोर दिया गया और सेक्टर-9 हॉस्पिटल को मेडिकल कॉलेज बनाने की पहली बार पहल शुरू हुई। इसके लिए राउरकेला जनरल हॉस्पिटल के निदेशक की अध्यक्षता में एक कमेटी भी बनाई गई थी। लेकिन मेडिकल कॉलेज का प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ पाया।
1992-93 में रामजीवन चौबे बीएसपी के निदेशक स्वास्थ्य एवं सेवाएं बने। मेडिकल कॉलेज के लिए और अतिरिक्त भूमि की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर आसपास की जमीन को हॉस्पिटल परिसर में और मिलाया गया। सभी पैथी एलोपैथी, आयुर्वेदिक, होम्योपैथी, यूनानी आदि के लिए रिसर्च सेंटर बनाने की बात कही गई थी। प्रपोजल केंद्र को भेजा भी गया। ग्लोबलाइजेशन का दौर आ गया और इस बात पर जोर दिया जाने लगा कि सेल का काम स्टील बनाना है हॉस्पिटल चलाना नहीं, और यह प्रस्ताव भी धरा रह गया।