पहला: मरना तो सभी को है एक दिन, लेकिन मौत ऐसी हो कि दुनिया याद करे। ये कहना था 1999 के कारगील युद्ध में शहीद हुए नायक कौशल यादव का। उनकी पत्नी निशा देवी ने बताया कि जब भी पता चलता था देश में कोई जवान शहीद हो गया, तो वे कहते थे कि मरो ऐसे कि सभी याद करें। उन्होंने बताया कि युद्ध में जाने से पहले वे 15 दिन की छुट्टी में थे। उनके शहीद होने के तीन दिन बाद हमको पता चला।
नायक कौशल अपने टीम के साथ दुश्मनों के कैंप में कब्जा करने के लिए सुबह चढ़े, ऊपर से गोलियों की बौछार शुरु हो गई। उन्होंने चोटी में कब्जा जमाए दुश्मनों पर धावा बोला। वहां ग्रेनेड फेंककर और गोलियां चलाकर 5 दुश्मनों को मौत के घाट उतारा। इसी दौरान वे जख्मी हो गए। उन्होंने अपने दल के साथ कब्जा जमाया और वीरगति को प्राप्त हो गए। उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
दूसरा: स्व. लेफ्टिनेंट कर्नल कपिल देव पांडे के शहीद होने के कुछ घंटें पहले ही रात 11 बजे कॉल पर बात हुई। कैसे हो मां, बच्चे कैसे है? मैंने कहा, सब ठीक हैं, कब आएगा तू। कहता था कब आऊंगा ये आकर बताऊंगा आपको। और उसके कुछ घंटे बाद ही वे शहीद हो गए। वह 30 जून 2022 का दिन था।
यह बातें उनकी माता कुसुम पांडे ने बताया। उन्होंने कहा वह बचपन से ही आर्मी में जाना चाहता था, पर शुरुआत में सलेक्शन नहीं हो पाया। उसने बड़ी-बड़ी कंपनियों में नौकरी की और आखिर एक दिन वह फौजी बन ही गया। उनकी शहादत मणिपुर के लैंडस्लाइड हादसे में हुई। उसमें पूरा कैंप नीचे दब गया। उसे सैन्य सेवा मेडल समेत कई मेडल से सम्मानित किया गया था। वह कश्मीर, हरिद्वार, आसम, देहरादुन समेत अन्य जगह पोस्टिग में रहे।
तीसरा: मेरे भाई सिपाही सुरजीतसिंह का एक साथी शहीद हो गया था। सुरजीत सिंह का कॉल आया तो उसने मुझसे कहा कि मेरा दोस्त शहीद हो गया। उसकी याद आ रही है। वह सपने में मुझसे कहता है तेरा साथ कभी नहीं छोड़ूंगा दोस्त। और एक दिन बाद ही मेरा भाई सुरजीतसिंह शहीद हो गया।
यह कहानी उनके भाई भूषण सिंह ने बताया। उन्होंने बताया कि लद्दाख में उसकी पोस्टिंग थी। कॉल करने पर कहता था, यह जगह बहुत खतरनाक है, पल पल यहां मौंत का सामना होता है। वे डॉक्टर को लेने एक पोस्ट से दूसरे पोस्ट जा रहे थे। तभी लैंडस्लाइड होने की वजह से वे 800 फीट नीचे गिर गए, और उनकी शहादत हो गई। उन्हे सेन्य सेवा मेडल से सम्मानित किया गया था। उनके पिता और बड़े पिता भी आर्मी में ही थे।