script#IIT भिलाई हॉस्टल में आग इतनी भयानक थी कि रातभर नहीं सोए विद्यार्थी, दहशत अब भी बरकरार | A fire in IIT Bhilai hostel of Government Engineering College Raipur | Patrika News
भिलाई

#IIT भिलाई हॉस्टल में आग इतनी भयानक थी कि रातभर नहीं सोए विद्यार्थी, दहशत अब भी बरकरार

शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज रायपुर के आइआइटी भिलाई के पोर्टाकेबिन हॉस्टल में लगी भीषण आग में मंगलवार को ८ विद्यार्थियों ने जैसे-तैसे कर अपनी जान बचाई। इस आग की वजह से विद्यार्थियों के लैपटॉप, अहम दस्तावेज कपड़े, जैसा पूरा सामान जलकर खाक हो गया है।

भिलाईMar 06, 2019 / 11:27 pm

Satya Narayan Shukla

Bhilai patrika

आईआईटी भिलाई हॉस्टल में आग इतनी भयानक थी कि रातभर नहीं सोए विद्यार्थी, दहशत अब भी बरकरार

भिलाई@Patrika. शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज रायपुर के आइआइटी भिलाई के पोर्टाकेबिन हॉस्टल में लगी भीषण आग में मंगलवार को ८ विद्यार्थियों ने जैसे-तैसे कर अपनी जान बचाई। यह आग हॉस्टल के पोर्टाकेबिन ६ विंग में लगी। अभी विद्यार्थियों का डर खत्म भी नहीं हुआ था कि आइआइटी प्रशासन ने उन्हें एक बार फिर ठीक बगल वाले पोर्टाकेबिन में शिफ्ट कर दिया। बुधवार को दिनभर बच्चों के पालकों के फोन आइआइटी प्रशासन के अधिकारियों के पास आते रहे, लेकिन किसी के पास कोई जवाब नहीं रहा। इस आग की वजह से विद्यार्थियों के लैपटॉप, अहम दस्तावेज कपड़े, जैसा पूरा सामान जलकर खाक हो गया है। आग पर काबू पाने पहुंची फायर ब्रिगेड की टीम शुक्रवार तक अपनी रिपोर्ट दे सकती है। इसी तरह पुलिस की विवेचना भी जारी है। दोनों रिपोर्ट आने के बाद ही आग लगने मुख्य वजह सामने आ पाएगी।
पौने छह करोड़ के पोर्टाकेबिन का ऐसा हाल
आइआइटी भिलाई ने नए बैच को ध्यान में रखते हुए छात्रों को हॉस्टल की सुविधा देने पोर्टाकेबिन हॉस्टल का निर्माण कराया। यह पोर्टाकेबिन हॉस्टल हमेशा से ही विवादों में घिरा रहा है। जिस वक्त केबिन का टेंडर निकाला गया था, उस वक्त भिलाई की एचएससीएल इकलौती कंपनी थी, जिसे सिंगल निविदा पर टेंडर दे दिया गया था। @Patrika.उससे भी बड़ी बात यह थी कि इस तैयार करने की अधिकतम लागत ४ करोड़ रुपए थी लेकिन आइआइटी ने एचएससीएल को टेंडर सवा करोड़ रु. अधिक यानी पौने ६ करोड़ रुपए में काम दिया। पोर्टाकेबिन को तैयार करने में कंपनी ने ६ महीने का अतिरिक्त समय भी लगा दिया, लेकिन इस पर भी उससे अंतर की राशि वसूली नहीं गई।
पालकों के इन सवालों पर घिरा आइआइटी प्रशासन

पोर्टाकेबिन तैयार कराते वक्त फायर या आपातकाल द्वार की व्यवस्था क्यों नहीं की गई?
बड़ी घटना होने पर विद्यार्थियों को बाहर आने का रास्ता क्या होता?
पोर्टाकेबिन के लिए दिए गए अग्निशमन यंत्र ने मौके पर काम नहीं किया। @Patrika. सुरक्षा के मद्देनजर पहले से कोई इंतजाम आइआइटी ने क्यों नहीं रखे?
विद्यार्थी भयभीत हैं, यह जानते हुए भी उन्हें दोबारा से वैसे ही पोर्टाकेबिन में शिफ्ट किया गया?
क्या पोर्टाकेबिन इस गुणवत्ता का है कि हल्की सी चिंगारी भी उसे भीषण आग में तब्दील कर सकती है। प्लास्टिक के बने इस केबिन में निर्माण के दौरान सुरक्षा के इंतजाम को नजरअंदाज क्यों किया गया?
सीधी बात -प्रोफेसर रजत मूना, डायरेक्टर आइआइटी भिलाई

सवाल -आग कैसे लगी, फायर ब्रिगेड ने अपनी जांच में क्या रिपोर्ट दी है?
जवाब – अभी रिपोर्ट नहीं मिली है, बुधवार को ही जांच करके गए हैं।@Patrika. हॉस्टल में ज्वलनशील कुछ भी नहीं रखा गया है। हमें लगता है कि किसी ने या तो सिगरेट पी है या हीटर से यह आग लगी।
सवाल – विद्यार्थी भयभीत है, उन्हें संभालने के लिए संस्थान ने क्या व्यवस्था की है?
जवाब – अब विद्यार्थी भयभीत नहीं है, उन्हें दूसरे पोर्टाकेबिन में शिफ्ट कर दिया गया है। बुधवार को पूरे हॉस्टल की जांच की गई है। अब सब ठीक है।
सवल – पोर्टाकेबिन ६ करोड़ का है, लोग इस घटना को बड़े घोटाले से जोड़कर देख रहे हैं, क्या कहेंगे?
जवाब – पोर्टाकेबिन को नामी कंपनी ने बनाया है, हमारी ओर से सुरक्षा के पूरे मापदंड पूरे किए थे। इस तरह की घटना दोबारा न हो इसको लेकर सचेत हैं।

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