बोले: भूमाफियाओं को शह दे रहा प्रशासन एक गुट का यह भी दावा है कि सेक्टर नंबर 13 की योजना को लेकर देरी करने के पीछे नगर सुधार न्यास, प्रशासन व राजनेताओं के साथ सांठगांठ रखने वाले एक भूमाफिया गिरोह का हाथ है, जो कि लंबे समय से किसी न किसी तरह से आंतरिक समझौते के तहत इसमें देरी करा रहा है। इसका खामियाजा शहर की जनता व खातेदारों को भुगतना पड़ रहा है। इसमें बरसो का नगला, सोनपुरा, विजय नगर, तेरही नगला, जाट मड़ौली, श्रीनगर, मलाह, अनाह आदि के किसान शामिल हैं। किसानों का कहना है कि हमारी जमीन होते हुए भी हम दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। कागजों में ही नगर विकास न्यास की ओर से जयपुर-आगरा राजमार्ग पर बहुप्रतिक्षित आवासीय योजना सेक्टर-13 को भरतपुर का उप नगर माना जाता है। इसमें दो लाख की आबादी को बसाने का प्लान किया गया है। यहां मिनी सचिवालय, कॉलेज, अस्पताल, स्पोटर्स काम्पलेक्स, मार्केट, सामुदायिक भवन, दो स्कूल, आठ पार्क सहित तमाम सुविधाओं का प्रावधान किया गया है।
12 साल में ऐसे रही योजना की चाल नगर सुधार न्यास ने 2002 नेशनल हाईवे स्थित सेक्टर नंबर 13 स्कीम का अधिगृहण किया गया। इसके बाद राज्यपाल की अनुमति के लिए उन्होंने भेज दिया फिर सेटलमेंट की रिपोर्ट एक्वायर कर नगर विकास न्यास के नाम खातेदारी चला दी। भूखंडों की रिजर्व प्राइज नौ हजार रुपए वर्गमीटर रखी गई थी। इसकी प्लानिंग 21 सितंबर, 2005 को हुई थी। जबकि एक सितंबर, 2011 को सरकार से स्वीकृति मिली। इसके बाद 3 सितंबर 2014 को 2200 बीघा भूमि पर कब्जा लिया गया। इसे लेकर तमाम तरह के भू स्वामियों से विवाद चलते रहे। इस कारण 19 नवंबर 2017 को वन एवं पर्यावरण विभाग की ओर से मंजूरी मिल सकी। योजना में 4 करोड़ रुपए की लागत से अप्रोच रोड बनाई जा चुकी हैं। इसमें मलाह मोड से सेवर रोड तक का दाएं क्षेत्र, सेवर रोड से हीरादास और काली की बगीची तिराहे तक का अंदरूनी हिस्सा शामिल है। 2006 में यूआईटी ने रजिस्ट्री पर रोक लगवा दी। इसके बाद 2010 में किसानों के खेती करने पर रोक लगा दी। कुछ किसानों ने फसल की थी तो प्रशासन ने ट्रेक्टर चलवा कर फसल को नष्ट कर दिया। इसके बाद किसान यूआईटी के चक्कर लगाते रहे।
इनका कहना है
जिला कलक्टर
-किसानों के साथ बैठक की जाएगी। उनकी योजना है कि अगर प्रशासन हमारी बातों को नहीं सुनता है तो आंदोलन किया जाए। हम हर परिस्थिति में किसान व शहर के साथ है। संबंधित वार्डों के पार्षद भी खातेदारों से मिल चुके हैं। आंदोलन की रणनीति तय कर निर्णय लिया जाएगा।
सामाजिक कार्यकर्ता