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भरतपुर

साहब ने बिना हस्ताक्षर ही कर दिया अनुबंध

– नोटशीट चली, फिर भी नहीं एफआईआर

भरतपुरJul 07, 2021 / 02:56 pm

Meghshyam Parashar

साहब ने बिना हस्ताक्षर ही कर दिया अनुबंध

साहब ने बिना हस्ताक्षर ही कर दिया अनुबंध

भरतपुर . मिड डे मील में स्वयं सहायता समूहों पर बरसी मेहरबानी संदेह के दायरे में नजर आ रही है। ‘साहबÓ की मेहरबानी और कार्मिकों की अनदेखी का आलम यह है कि स्कूलों में मिडडे मील उपलब्ध कराने को किए गए अनुबंध पूरे ही नहीं हैं। एक ऐसा भी मामला सामने आया है, इसमें न तो अनुबंध करने वाले के हस्ताक्षर हैं और न ही जिला शिक्षा अधिकारी के। ऐसे में यह अनुबंध कैसे हो गया और वर्क ऑर्डर कैसे जारी हो गया। यह समझ से परे है।
भले ही विभाग कोविड-19 की आड़ में राशि नहीं लौटने की बात कह रहा है, लेकिन करीब चार वर्षों में 70 से 80 करोड़ रुपए का अग्रिम भुगतान स्वयं सहायता समूह एवं अन्नपूर्णा महिला सहकारी समितियों को किया है, जिनका समायोजन विभाग के लिए मुश्किल हो रहा है। खास बात यह है कि जिला कलक्टर के यहां से पूर्व में चली नोटशीट में राशि नहीं लौटाने वाले समूहों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने के निर्देश दिए जा चुके हैं, लेकिन यह आदेशों पर भी पूरी तरह अमल नहीं हो सका है। इस आदेश के बाद कुछ समूहों को तो चेतावनी दे दी गई, लेकिन पूरी राशि लौटने का मामला अधरझूल में ही बना रहा। उल्लेखनीय है कि जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा की ओर से मिडडे मील क्रियान्वयन के लिए 90 स्वयं सहायता समूहों को तीन-तीन माह की राशि अग्रिम के रूप में भुगतान की गई। खास बात यह है कि इसमें नियमों की बात सामने आ रही है। इस मामले में प्रारंभिक शिक्षा राजस्थान बीकानेर के अतिरिक्त निदेशक प्रशासन ने जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर पीआईपीआर पोर्टल पर दर्ज राजस्थान पत्रिका की खबर ‘नियम न कायदा, सीधा समूहों को फायदाÓ के प्रकरण पर तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है। पत्र में सूचना एवं जनसंपर्क विभाग जयपुर पोर्टल का प्रकरण राजस्थान पत्रिका की खबर पर तथ्यात्मक रिपोर्ट सोमवार को ही ई-मेल पर मांगी। उल्लेखनीय है कि पत्रिका ने 5 जुलाई के अंक में खबर प्रकाशित कर विभागीय अधिकारियों का ध्यान इस ओर खींचा। खबर में बताया कि जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा की ओर से मिडडे मील क्रियान्वयन के लिए 90 स्वयं सहायता समूहों को तीन-तीन माह की राशि बिना नियमों के अग्रिम के रूप में भुगतान की गई है। इस राशि का समायोजन लंबे समय से नहीं हुआ है।
समायोजन के बाद भी नहीं लौटी राशि

खास बात यह है कि नियमानुसार कार्य करने वाले कुछ समूहों ने अपनी राशि विभाग से मांगी है। ऐसे करीब 11 समूह बताए जा रह हैं, जिनकी काम के एवज में दी जाने वाली राशि उन्हें नहीं दी गई है। विभाग समायोजन की बात कहकर लगातार इस मामले को टाल रहा है। ऐसे समूहों का विभाग पर करीब 23 से 24 लाख रुपए बकाया चल रहा है, लेकिन इनकी सुध अभी तक नहीं ली जा रही है।
इनका कहना है

मिडडे मील का काम करने वाले समूहों पर करीब 3 करोड़ 41 लाख रुपए बकाया थे। इनमें से कुछ समूहों से करीब 42 लाख रुपए वापस लिए हैं। मेरी जानकारी में आया है कि कुछ अनुबंध अपूर्ण हैं, जिन पर हस्ताक्षर नहीं हैं। विभाग की ओर से काम करने वाले दो से तीन समूहों को पैसा वापस भी किया गया है।
– गोपाल सिंह कुंतल, प्रभारी एमडीएम जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय प्रारंभिक भरतपुर

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