उधर, ऐतिहासिक जीत की खबर मिलते ही भाजपा प्रत्याशी कोली खुशी के आंसू नहीं रोक पाई। पार्टी के चुनाव कार्यालय पर उन्होंने इस बड़ी के बाद अपने ससुर और तीन बार सांसद रह चुके गंगाराम कोली के पैर छूकर आर्शीवाद लिया। बहू को आशीष देते हुए ससुर भी अपने आंसुओं पर काबू नहीं रख पाए और उनकी भी आंखें डबडबा गईं। रंजीता कोली के ससुर वर्ष 1991 से 1998 तक बयाना लोकसभा सीट से लगातार तीन बार भाजपा से सांसद रह चुके हैं। वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद करौली-धौलपुर संसदीय सीट नई सीट बनी। भरतपुर लोकसभा सीट पर भाजपा का कोली कार्ड एक बार फिर से सफल रहा है। वर्ष 2014 के चुनाव में भी भाजपा के बहादुर सिंह कोली विजयी रहे थे। इससे पहले भी इस सीट पर भाजपा कोली जाति के व्यक्तियों को पार्टी का प्रत्याशी बनाया है। इससे पहले तीन बार गंगाराम कोली, एक रामस्वरूप कोली व दो बहादुर सिंह कोली सांसद रह चुके हैं। वहीं, 2009 के चुनाव में भी भाजपा ने सुखराम कोली को प्रत्याशी बनाया लेकिन उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी रतन सिंह से हार का सामना करना पड़ा। भरतपुर लोकसभा सीट पर 1957, 1962, 1971, 1980, 1984, 1998, 2009 में कांग्रेस, 1977, 1989 में जनता पार्टी, 1991, 1996, 1999, 2004 और 2014 में भाजपा विजयी रही।