मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के दो दिवसीय दौरे के बाद शहर के सौंदर्यीकरण का प्लान तैयार करने में जिला प्रशासन जुट गया है। इसके लिए पहले चरण में हीरादास सर्किल से सेवर मार्ग को चौड़ा करने के लिए एसडीएम की ओर से अतिक्रमण हटाने को नोटिस दिए हैं। इसके बाद लोगों ने जिला कलक्टर व मुख्यमंत्री जन सुनवाई केन्द्र में ज्ञापन दिया है। इसमें जिला प्रशासन, तत्कालीन नगर परिषद एवं आम सहमति की ओर से पूर्व में जनहित को ध्यान में रखते हुए हीरादास चौराहा से प्राचीन ग्राम अनाह एवं सरसों अनुसंधान केन्द्र तक रोड़ सीमा के संबंध में किए रोड को यथावत रखने को कहा गया है।ज्ञापन में जसवंत नगर, हीरादास नगला, अनाह गांव, गांधी नगर कॉलोनी एवं सुग्रीव नगर कॉलोनी के लोगों ने जिला कलक्टर डॉ. अमित यादव व मुख्यमंत्री के ओएसडी ओपी त्रिपाठी को दिए ज्ञापन में बताया है कि हीरादास ग्राम अनाह एवं सरसों अनुसंधान केन्द्र तक पूर्व में यातायात व्यवस्था एवं सौंदर्यीकरण को ध्यान में रखते हुए तत्कालीन नगर परिषद, यूआईटी तथा जिला प्रशासन की सहमति से रोड सेन्टर से दोनों ओर सीमा रेखा तय करके 50 फीट की दूरी पर दोनों ओर नगर परिषद ने पुख्ता नालों का निर्माण कराया था। इसके सहारे पेड़ भी लग गए थे। अब प्रशासन की ओर से इस क्षेत्र में क्षेत्रीय निवासियों को जगह खाली करने के नोटिस जारी किए गए हैं, जो कि पूरी तरह अनुचित हैं, क्योंकि पुख्ता नालों को प्रशासन की ओर से सीमा रेखा मानते हुए स्थानीय निवासियों ने अपने जीवन यापन के लिए छोटे-मोटे रोजगार खोल रखे हैं व रहने के लिए घर भी बना रखे हैं। पूर्व में 22 जनवरी 1994 को जारी आदेश में भी सडक़ के मध्य से दोनों ओर 50-50 फीट की दूरी तय की गई थी। इस क्षेत्र में लगभग 100 वर्ष पूर्व से ग्राम अनाह, जसवन्त नगर एवं गांधी नगर एवं गणेश नगर कॉलोनी बसी हुई है तथा रियासतकालीन जसवन्त प्रदर्शनी मैदान एवं बाबा हीरादास के कुण्डा के पार पर गड्डर मल की धर्मशाला का हिस्सा भी आता है। इसके साथ ही इस रास्ते केन्द्रीय कारागृह एवं सेवर फोर्ट भी है। लोगों का कहना है कि जब पूर्व में आगरा से जयपुर जाने के लिए नेशनल हाईवे हीरादास, अनाह, सेवर मार्ग से गुजरता था, लेकिन लगभग बीस वर्षों से यह नेशनल हाइवे सारस चौराहे, मलाह, सेवर होते हुए फोर लाइन बन चुका है। इसके अलावा सरसों अनुसंधान केन्द्र की बगल से स्टेट हाइवे (मथुरा बाई पास) भी निकल चुका है। ज्ञापन में कहा है कि लोगों को बेरोजगार व बेघर होने से बचाने के लिए पूर्व में जिला प्रशासन की ओर से किए गए निर्णय को जनहित में यथावत रखते हुए हीरादास से प्राचीन ग्राम अनाह एवं सरसों अनुसंधान केन्द्र तक तक सडक़ सीमा एक ओर से पुख्ता नालों को सीमा रेखा मानते हुए 50 फीट ही रखी जाए, लेकिन अब प्रंशासन की ओर से डिवाइडर की दूरी से 100 फीट की दूरी को लेकर नोटिस दिया है।