पूर्व मंत्री विश्वेन्द्र सिंह के अधिवक्ता महावीर प्रसाद ने बताया कि 20 जून 2024 को एसडीएम की ओर से दिए गए ऑर्डर में आंशिक संशोधन करते हुए
भरतपुर जिला कलक्टर न्यायालय ने अनिरुद्ध सिंह को पाबंद किया है कि वह अपने पिता विश्वेन्द्र सिंह की बीमारी में औषधि एवं स्वास्थ्य जांच के साथ उनकी देखभाल करेंगे। साथ ही भरण-पोषण एवं निवास की व्यवस्था करने के साथ गाली-गलौच नहीं करेंगे। न्यायालय ने राय देते हुए कहा है कि परिवारीजन सद्भावनापूर्वक मृदु व्यवहार रखते हुए जीवन निर्वहन करेेंगे। आदेश में न्यायालय ने दान पत्र को निरस्त करने एवं पारिवारिक संपत्तियों के विवाद निस्तारण के लिए सक्षम न्यायालय में वाद प्रस्तुत करने के आदेश को यथावत रखा है। न्यायायल ने अपील संख्या 4/2024 में यह निर्णय शुक्रवार को दिया।
यह है पूर्व राज परिवार का विवाद
पूर्व मंत्री सिंह की ओर से एसडीएम के यहां प्रार्थना पत्र देकर 5 लाख रुपए प्रतिमाह भरण-पोषण के साथ मोती महल, कोठी दरबार निवास आदि पर कब्जा दिलाने की बात कही थी। इसमें बताया था कि प्रार्थी वरिष्ठ नागरिक है और हृदय रोग से पीडि़त है। दो स्टन्ट डले होने के कारण टेंशन सहन नहीं कर सकता। मैं दो बार वर्ष 2021 एवं 2022 में दो बार कोरोना से पीड़ित हुआ, लेकिन पत्नी एवं बेटे ने कोई शारीरिक व मानसिक सहायता नहीं की। उपचार के दौरान व बाद में भी देखभाल की सुध नहीं ली। न तो कोई देखने आया और न ही दूरभाष पर बात की। पत्नी व बेटे ने मेरे साथ बगावत जैसा रवैया अपनाना प्रारंभ कर दिया। मेरे पहनने के कपड़े फाड़कर कुएं में फेंक दिए व जला दिए। कागजात-रिकॉर्ड आदि फाड़ दिए और गाली-गलौच कर कमरों से सामान निकालकर बाहर फेंंक दिया। यहां तक चाय-पानी तक बंद करा दिया। मुझे अपने निवास में नहीं घुसने दिया गया। यह भी आरोप लगाया था कि इंस्टाग्राम, फेसबुक व मोबाइल मैसेज के जरिए विभिन्न प्रकार की टिप्पणी कर बेइज्जत किया है।