यशस्वी जयसवाल की कहानी बहुत मार्मिक है। यशस्वी मूल रूप से उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के रहने वाले यशस्वी 11 साल की छोटी उम्र में सपनो के शहर मुंबई आ गए थे। यशस्वी बचपन से ही क्रिकेट में रूची रखते थे, इनके मुम्बई आने की भी वजह यही थी। इनके पिता भदोही में ही एक पेंट की दुकान चलाते हैं।
मैदान के टेंट में गुजारी कई रातें
मुंबई में पिता ने इनके के रहने की व्यवस्था एक जान पहचान के एक तबेले में करवा दिया जहां ये शर्त थी कि यशस्वी को वहां सुबह उठकर तबेले में काम करना पड़ेगा। यशस्वी रोज सुबह 5 बजे उठते और तबेले में मदद कराते फिर प्रैक्टिस करने आज़ाद मैदान जाया करते थे। एक दिन उस तबेले के मालिक ने उनका सारा सामान बाहर फेक दिया था, जहां वह रात में सोते थे, जबकि उन्होंने मुंबई के आजाद मैदान में कई रातें टेंट में बिताई थीं। ऐसा भी कहा जाता है कि उन्होंने खर्च चलाने के लिए पानी-पूरी भी बेची थी।
लेकिन भाग्य को कुछ और मंजूर था। एक वह कोच ज्वाला सिंह मिले उन्हें यशस्वी में कुछ दिखा उन्होंने यशस्वी को नए जूते और किट दिलाए और रहने के लिए अपने चाल में इंतजाम करा दिया। ज्वाला सिंह की भी कहानी कुछ इसी तरह की थी, मगर उन्हें कोई आगे बढ़ाने वाला नहीं मिला। इसलिए उन्होंने यशस्वी को क्रिकेट की कोचिंग देने की ठानी।
जायसवाल ने भारत ICC U-19 विश्व कप 2020 के फाइनल में पहुंचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह छह मैचों में 400 रन बनाने के साथ टूर्नामेंट के टॉप स्कोरर थे। इस टूर्नामेंट में यशस्वी को प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट के खिताब से नवाजा गया था। इसके बाद राजस्थान रॉयल्स ने यशस्वी को 2.40 करोड़ रुपये की बोली लगाकर अपनी टीम में शामिल किया था।
जायसवाल ने अंडर-19 स्तर पर भी भारत का प्रतिनिधित्व किया था। वह 2018 एसीसी अंडर-19 एशिया कप में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी थे। जायसवाल ने 319 रन बनाए और हैरिस शील्ड गेम में 99 रनों पर 13 विकेट लिए थे। इसके परिणामस्वरूप उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया ऐसा इसलिए है क्योंकि यह किसी भी खिलाड़ी द्वारा स्कूल क्रिकेट मैच में सर्वाधिक रन और विकेट लेने का विश्व रिकॉर्ड है।