सामूहिक हत्याकांड की घटना सितंबर 2009 की है। ज्ञानपुर के चौरहटा गांव में संगमलाल गुप्ता, पत्नी सावित्री देवी, बेटियां अनीता और रानी के अलावा पौत्री गुड़िया को मार डाला गया था। परिवार में किसी के नहीं बचने पर गांव के चौकीदार सरजू की तहरीर पर अज्ञात लोगों के खिलाफ ऊंज थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था। कुछ दिनों के बाद मुंबई से आए संगमलाल के बेटे ने गांव के ही कुछ लोगों पर हत्या की आशंका जताते हुए कार्रवाई की मांग की।
ट्रायल कोर्ट ने प्रेम शंकर उपाध्याय, चंद्र प्रकाश, गुड्डू मिश्र उर्फ सच्चिदानंद, तीर्थराज गुप्ता, धर्मेंद्र कुमार बिंद, केदार मिश्र और श्यामदेव विश्वकर्मा को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। एक आरोपी विजय गुप्ता की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी। हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद कहा कि अभियोजन पक्ष अभियुक्तों की हत्या में संलिप्तता के साक्ष्य देने में विफल रहा।