मलाजपुर के गुरु साहब के मेले में पिछले 500 साल से मानसिक रोगियों का इलाज किया जाता है। लोक मान्यता कि उनके परिवार के मानसिक रोगी में किसी भूत का साया है। ये अंधविश्वास उन्हें डॉक्टर के बजाय भूत भगाने वाले मेले की ओर खींच ले जाता है। इन दिनों यहां एक बार फिर भूत मेला लगा है। जहां मानसिक रोगियों का इलाज यह कहकर किया जाता है कि प्रेत बाधा है, भूत है शरीर में। गुरु साहब के इस मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। खासतौर पर वे लोग जो या तो मानसिक रोगी हैं या फिर नि:संतान हैं। सर्पदंश से पीड़ित मरीज तक यहां इलाज करवाते हैं और ठीक होने का दावा करते हैं।
मानसिक रोगियों का इलाज देख कांप जाती है रूह
यहां मानसिक बीमारियों के इलाज के लिए आने वाले मरीजों को समाधि की परिक्रमा करवाई जाती है। उसके बाद समाधि के सामने रुकता है। यहां रुकते ही मरीज के शरीर में हलचल शुरू हो जाती है। जैसे ही हलचल शुरू होती है, यहां बैठे पुजारी और महिलाएं उनके बालों को कसकर पकड़ लेती हैं और दर्दनाक तरीके से खींचते हैं। फिर पूछते हैं बता कौन सी बाधा है और उसके बाद गुरु साहब का जयकारा लगाते हैं। जब ये बाधा शरीर से जाने को तैयार नहीं होती, तो मरीज को झाड़ू से पीटा जाता है। मार पड़ते ही दर्द से चीखता मरीज निढाल सा होने लगता है। इसके बाद मरीज को चरणामृत और भभूत दिया जाता है। मरीजों के परिजनों को लगता है कि उनका मरीज ठीक हो गया है।
पीड़ितों का कहना है
गुरु साहब बाबा की महिमा मानसिक बीमारियों से पीड़ित मरीज के इस तरह से इलाज को लेकर लोगों से बातचीत की गई, तो सामने आया कि ये अंधविश्वास नहीं है, बल्कि गुरु साहब बाबा की महिमा है। यहां आने वाले मानसिक रोगियों को आराम मिलता है और वे सही हो जाते हैं, इसलिए उनका विश्वास गहरा है। इसके विपरीत विज्ञान में ऐसे इलाज को केवल क्रूरता की श्रेणी में शामिल किया जाता है। पीड़ितों के परिजनों का कहना है कि वे अपने मरीज का इलाज कई डॉक्टरों से करवा चुके हैं, लेकिन जब उन्हें लाभ नहीं मिला, तो वे यहां मलाजपुर इस उम्मीद में पहुंचे कि अब यहां फायदा होगा और उन्हें फायदा भी हुआ।
समाधि स्थल के पुजारी बाबू सिंह यादव बताते हैं कि समाधि का इतिहास 500 साल पुराना है और सदियों से यहां पर भूत-प्रेत से पीड़ित लोग ठीक होने की उम्मीद में पहुंचते हैं और ठीक हो जाते हैं। वहीं उनका दावा है कि सर्पदंश से पीड़ित भी यहां से खुश होकर लौटते हैं।