यह कहना है वृद्धाश्रम में रह रही एक बुजुर्ग महिला का। मातृ दिवस (मदर्स डे) पर रविवार को वृद्धाश्रम में रह रही बुजुर्ग महिलाओं से मिलने कुछ युवा गए। उन्होंने उनका माला पहनाकर स्वागत किया। उनसे आशीर्वाद लिया। इस दौरान बुजुर्ग महिलाओं से परिवार के बारे में बात की तो अपने लाडलों से दूर होने के बावजूद उनकी उन्नति की कामना करती रही। हालांकि अधिकांश बुजुर्ग महिलाओं ने हाथ हिलाकर इतिश्री कर दी। उनके इशारे के साथ अपनों के साथ नहीं होने का दु:ख साफ झलक रहा था।
अपने माता-पिता की सेवा करें चेन्नई से यहां आकर रह रही बुजुर्ग सुगना (बदला हुआ नाम) ने बताया कि चेन्नई से जयपुर आए थे। इस दौरान कोरोना की लहर शुरू हो गई। उस विकट कोरोना काल को जयपुर में गुजारा। इसके बाद काम की तलाश भी की लेकिन काम नहीं मिला। इसके बाद वे यहां आश्रम में आ गए। यहां पर सबका सहयोग व सुकून मिला। मेरा एक बच्चा है जो बावर्ची का काम करता है। बच्चे का लगातार फोन आता है। हालचाल लेता है। हमारी दुआ है कि वो खूब फले-फूले। उन्होंने कहा कि सबको अपने मां-बाप की सेवा करनी चाहिए।
हमारे भाग्य में बेटे का सुख नहीं वृद्धाश्रम में निवास कर रही एक बुजुर्ग महिला को मदर्स डे पर बात करने पर आंखें छलछला आई। वह सिर्फ इतना बोली कि बच्चों को अपने मां-बाप की सेवा करनी चाहिए। हमारे भाग्य में बच्चों का सुख कहां है। इसके बाद उनके मुंह से कोई शब्द नहीं निकला।
माला पहनाकर किया सम्मान वृद्धाश्रम में रह रही बुजुर्ग माताओं का युवाओं ने माला पहनाकर स्वागत किया। उनके स्वास्थ्य के हाल-चाल जाने। इस दौरान टीकमसिंह कड़ीवाल, भरत राठौड़, पप्पू कड़ीवाल, हंसराज, गोविंद, कमल भाटी सहित अन्य शामिल रहे।