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ब्यावर

विकास के पथ पर बढ़ेगा ब्यावर

1 मई 1867 नगर परिषद की स्थापना

ब्यावरFeb 15, 2023 / 09:00 am

Bhagwat

विकास के पथ पर बढ़ेगा ब्यावर

विकास के पथ पर बढ़ेगा ब्यावर

ब्यावर. ब्यावर के स्थापना के 186 साल बीत चुके हैं। ब्यावर एक फरवरी को 187 वां स्थापना दिवस मना रहा है। ब्यावर शहर ने स्थापना के बाद प्रदेश ही नहीं देश में औद्योगिक दृष्टि से अपनी अलग पहचान कायम की। अजमेर मेरवाड़ा का राजस्थान में विलय के बाद ब्यावर विकास की राह से भटक गया। जिले की करीब 69 सालों से चल रही मांग ने एक बार फिर जोर पकड़ा है।
हालांकि इस दौरान ब्यावर जिला तो नहीं बन सका लेकिन जिला स्तरीय कई कार्यालय यहां से छिन गए। यहां की आबादी विस्तार के साथ आवश्यकताओं के अनुरूप संसाधन भी शहर को नहीं मिल सके। सालों पहले बने सरकारी भवन को अब मरम्मत की दरकार है लेकिन इनकी कोई सुध लेने वाला तक नहीं है। इनमें अमृतकौर चिकित्सालय भवन, तहसील भवन, पटेल स्कूल, डाक बंगला सहित अन्य भवन शामिल है। देश की आजादी में क्रांतिकारियों को प्रशिक्षण देने वाला शहर अब विकास की बाट जोह रहा है। पच्चीस साल पहले जिले का चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग का मुख्य कार्यालय था ब्यावर में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग का सीएमएचओ कार्यालय 25 साल पहले ब्यावर में संचालित था। अजमेर जिले की चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग का मुख्य कार्यालय ब्यावर में ही था। इस कार्यालय को वर्ष 1998 में अजमेर स्थानान्तरित कर दिया गया। इसका भवन अब भी खाली ही पड़ा है। इस भवन को देखरेख के अभाव में बदहाल होता जा रहा है।
आजादी से पहले यह रहे प्रशासक

प्रदेश की पहली नगर पालिका का गौरव ब्यावर को मिला है। नगर परिषद कार्यालय भवन को आजादी से पहले कॉल्विन भवन के नाम से जाना जाता था। आजादी के बाद इसका नाम नेहरू भवन कर दिया गया। इस भवन में केप्टन डोक्ट 1904-1905 तक प्रशासक के रुप में नियुक्त रहे।
यह है ऐतिहासिक महत्व

क्रान्तिकारियों एवं स्वतंत्रता सेनानियों की शरणस्थली रहा है। 1888 में देश की पहली जनमत प्रजातान्त्रिक व्यवस्था ब्यावर से ही शुरू हुई। राजस्थान का पहला आयकर विभाग भी ब्यावर शहर में ही स्थापित हुआ। 150 वर्ष पूर्व अंग्रेजी शासकों द्वारा सी. एन. आई चर्च का भी ब्यावर में निर्माण करवाया। एक मई, 1867 को नगर परिषद भी ब्यावर में अंग्रेजी शासनकाल में स्थापित की गई थी। 1839 में अंग्रेजी शासन में मेरवाड़ा प्रदेश का दर्जा ब्यावर को दिया गया। ब्यावर शहर देश की पहली ऊन और रूई की व्यापारिक मण्डी भी बनी। एक नवम्बर, 1956 को भारत सरकार द्वारा गठित राज्य पुन: गठन आयोग के अध्यक्ष सैय्यद फजल अली ने राजस्थान में अजमेर मेरवाड़ा को मिलाने के लिए अजमेर को राजस्थान की राजधानी और ब्यावर को जिला बनाए जाने पर सहमति प्रकट की थी।
बढ़ता शहर : एक नजर

वर्ष 1962 में नगर पालिका में 16 पार्षद थे। दो महिला सदस्यों का मनोनयन होता था। जनसंख्या करीब 25 से 28 हजार तक थी। 1965 में पार्षदों की संख्या 18, 1970 में 22, 1988 में 35, 2008 में पार्षदों की संख्या 45 कर दी गई। वर्ष 2019 में पार्षदों की संख्या को 45 से बढ़ाकर साठ किया गया। वार्डों का परिसीमन किया गया। 1962 में पार्षदों की संख्या 16 थी जो अब बढ़कर 60 तक पहुंच गई है। नगरीय सीमा में विस्तार होने के बाद वार्डों की संख्या में और इजाफा होगा। ब्यावर के पेराफेरी क्षेत्र में चार ग्राम पंचायत शहरी सीमा से सटी हैं। नगरीय सीमा का विस्तार होने पर इनका अधिकांश हिस्सा शहर में आ जाएगा। इससे वार्डों की संख्या एवं क्षेत्र और बढ़ेगा। शहर में करीब तीन हजार के करीब स्टीट वेंडर के लिए आवेदन किए है। जबकि स्ट्रीट वेंडर की संख्या करीब पांच हजार के करीब है।

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