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अब ग्रेनाइट कारोबार का डंका, राजस्थान के इन जिलों में बढ़ी साख, सालाना करीब 60 करोड़ से अधिक का है रेवेन्यू

क्वा़र्ट्ज एवं फेल्सपार मिनरल के बाद अब अजमेर की धरा ग्रेनाइट की चमक बढ़ा रही है। परिसीमन से पूर्व अजमेर जिले में एक दशक पूर्व ग्रेनाइट की मात्र 50 खदानें थीं, मगर अब ग्रेनाइट की करीब 1000 खदानों से अच्छी क्वालिटी का ग्रेनाइट निकल रहा है।

ब्यावरMay 07, 2024 / 02:02 pm

Kirti Verma

Rajasthan: क्वा़र्ट्ज एवं फेल्सपार मिनरल के बाद अब अजमेर की धरा ग्रेनाइट की चमक बढ़ा रही है। परिसीमन से पूर्व अजमेर जिले में एक दशक पूर्व ग्रेनाइट की मात्र 50 खदानें थीं, मगर अब ग्रेनाइट की करीब 1000 खदानों से अच्छी क्वालिटी का ग्रेनाइट निकल रहा है। अजमेर, केकड़ी एवं ब्यावर जिले के कुछ गांव ग्रेनाइट उत्पादन में रिकॉर्ड कायम कर रहे हैं।
खनिज उत्पादन के मामले में पिछले एक दशक में क्वार्ट्ज, फेल्सपार एवं मार्बल के बाद अब ग्रेनाइट के क्षेत्र में नई पहचान बनती जा रही है। यहां के ग्रेनाइट की डिमांड अन्य राज्यों से भी आ रही है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को रोजगार भी बढ़ा है।
तीन जिलों में बंटगया अब रेवेन्यू
खनिज विभाग के अधिकारियों के मुताबिक ग्रेनाइट से सालाना करीब 60 करोड़ रुपए की सरकार को आय हो रही है। पहले पूरा अजमेर जिले के खाते में था, लेकिन अब केक़ड़ी एवं ब्यावर जिले के हिस्से में बंट गया है।
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करीब डेढ़ लाख लोगों को रोजगार
ग्रेनाइट के कारोबार से खदान, लदान एवं माल बेचने के व्यवसाय में करीब डेढ़ लाख लोगों को रोजगार मिल रहा है। हजारों लोग प्रतिदिन खदानों में काम कर रहे हैं। कुछ ट्रेक्टर, ट्रेलर, ट्रकों में माल भरने का काम कर रहे हैं। कुछ माल परिवहन के साथ कुछ ग्रेनाइट बेचने के काम में जुटे हैं। सैकड़ों लोग कटर व गैंगसा मशीनों पर भी ग्रेनाइट काटने आदि के काम में जुटे हैं।
कहां-कौनसा ग्रेनाइट
अजमेर : सिलोरा, उदयपुरखुर्द, काचरिया में कई खदानें ग्रेनाइट की हैं। यहां ब्लैक ग्रेनाइट, रिवर प्लेट ग्रेनाइट।

केकड़ी : राममालिया में टाइगर ग्रेनाइट, एकलसिंहा, बघेरा में रिवर प्लेट, जूनिया में कंटेसी ब्राउन। सावर में ब्लैक ग्रेनाइट, वहीं भिनाय के आस-पास भी ग्रेनाइट की नई खदानें हैं।
ब्यावर : रिछमालिया में ओशयन ब्लू, शेरगढ़ में भी अच्छी क्वालिटी का ग्रेनाइट निकल रहा है।

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