कोरोना महामारी से लड़ रही सरकार और लोकल प्रशासन के लिए क्वारंटीन किए गए कोरोना के संदिग्धों की फरमाइशें और उनके नखरे शासन प्रशासन के लिए प्रशासन के लिए परेशानी का सबब बनते जा रहे हैं। लेकिन अब ऐसे लोगों से कड़ाई से निपटा जा रहा है। यूपी के बस्ती ज़िले में तो दलित रसोइया के हाथ का बना खाना खाने से इंकार कर घर से बना खाना मांगकर खाना क्वारंटीन किए गए 10 कोरोना संदिग्धों को महंगा पड़ गया। सभी के ख़िलाफ़ पुलिस ने महामारी एक्ट और सुसंगत धाराओं के तहत मुक़दमा दर्ज कर लिया है।
मामला बस्ती के सल्टौवा ब्लॉक के सिसवा बरुआर ग्राम का है। यहां ग्राम पंचायत के प्राथमिक विद्यालय में 10 लोगों को कोरोना संदिग्ध होने के चलते क्वारंटीन किया गया है। आरोप है कि इन लोगों द्वारा विद्यालय की रसोइया के हाथ बना खाना खाने से इनकार करते हुए घर का भोजन मंगवाकर खाया गया। ग्राम प्रधान प्रतिनिधि की तहरीर पर एसओ भानपुर ने इन दस लोगों के खिलाफ़ मुकदमा दर्ज किया है।
सिसवा बरुआर प्रधान प्रतिनिधि राजेश कुमार ने अपनी तहरीर में आरोप लगाया है कि गांव के 10 लोग सत्यराम, रविशंकर, राजू, राजेश, मनमोहन, जगप्रसाद, दिलीप कुमार, राम प्रकाल यादव, शिवकपूर व नितराम दिल्ली से गांव लौटे हैं। एसडीएम के निर्देशानुसार सभी को कोरोना वायरस से संक्रमित होने की संभावना के मद्देनजर गांव के विद्यालय पर क्वारंटीन किया गया है।
एसपी हेमराज मीणा ने बताया कि क्वारंटीन किए गए सभी लोगों के लिए विद्यालय की रसोइया द्वारा भोजन बनाया गया लेकिन इन लोगों ने खाने से मना करते हुए घर का भोजन करने की बात कही। प्रधान प्रतिनिधि ने सभी से घर से भोजन मंगाने पर उनके परिजनों को कोरोना वायरस से संक्रमित होने की शंका जाहिर की। इन सभी ने कहा कि रसोईया दलित है इसलिए वे उसके हाथ का बना खाना नहीं खाएंगे।
By Satish Sriwastava