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बस्ती-गोरखपुर मंडल का इलाका पूर्वांचल का गन्ना बेल्ट कहलाता है। इसके अलावा आजमगढ़, बलिया और मऊ के क्षेत्रों में भी गन्ना किसान काफी तादाद में हैं। इन क्षेत्रों पर रालोद और भाकियू की नजरें हैं। किसान नेताओं को लगता है कि गन्ना बकाए की समस्या इस इलाके में भी है इसलिये गन्ना किसानों को किसान आंदोलन में जोड़ने में आसानी होगी। इसके अलावा पूर्वांचल के चावल उत्पादक बेल्ट और गेहूं कि किसानों को किसान आंदोलन में लाने की जुगत में ये पार्टियां लगी हुई हैं। यही हाल अवध और बुंदेलखंड के इलाके में भी है यहां भी किसानों को आंदोलन से जोड़ने की कोशिशें तेज कर दी गई हैं। उधर राष्ट्रीय लोकदल भी पूर्वांचल व आसपास के जिलों में अगले एक दो महीनों में कई किसान पंचायतें करने की तैयारी में है। रालोद के प्रदेश महासचिव ऐश्वर्य राज सिंह ने बताया है कि बस्ती, के अलावा लखीमपुर खीरी में पार्टी ने बीते महीने किसान पंचायत की है। 15 मार्च को टांडा में किसान पंचायत होनी है और मिर्जापुर में भी प्रस्तावित है, लेकिन उसकी तिथि अभी तय नहीं है, आगे कई जिलों में भी आयोजन करने की तैयारी है।
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उधर राकेश टिकैत ने किसानों से गेहूं कि जुताई और कटाई न करने की अपील की है। आंदोलन में बैठे किसानों की गेहूं कि फसल की कटाई के लिये गांव में कमेटी बनाकर गांव के किसानों से कराने की योजना पर भी काम चल रहा है। इससे भी आंदोलन से और किसान जुड़ेंगे। नरेश टिकैत ने भी बस्ती में किसान महापंचायत के दौरान पूरे देश में महापंचायत करने की बात कही है। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष हरिनाम वर्मा का कहना है कि किसान आंदोलन को पूरे प्रदेश में फैलाने की तैयारी है। मिर्जापुर, वारााणसी, गोरखपुर, फतेहपुर के अलावा बुंदेलखंड में भी एक पंचायत कराने की योजना है। इसकी तारीखों का ऐलान राष्ट्रीय नेतृत्व से हरी झंडी मिलने के बाद किया जाएगा।