इस दौरान उन्होंने मीडिया से बात करते हुए मुजफ्फरनगर जिले में भाजपा नेता और और किसानों के बीच हुए हिंसक झड़प पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि बीजेपी के लोगों ने बद्तमीजी की है। अगर भाजपा नेताओं को अहंकार छोड़ना चाहिये। ऐसा रवैया लेकर अगर जनता के बीच जाएंगे और उनसे मारपीट करेंगे तो यह उचित नहीं। उन्होंने द्वारा मारपीट करने के संजीव बालियान के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि किसानों ने किसी पर हाथ नहीं उठाया। मंत्री जी के साथ आए लोग किसान एकता जिंदाबाद के नारे से भड़क गए, जिसके बाद नौबत मारपीट तक पहुंच गई। आरोप लगाया कि पूर्व मंत्री संजीव बलियान के साथ आए लोगों ने किसानों व गांव के लोगों के साथ मारपीट की। उनके कई लोग चोटिल हुए हैं जिनका इलाज चल रहा है।
उन्होंने दावा किया कि गांवों में भाजपा का विरोध है। कहा कि कि भाजपा नेताओं से कृषि बिल पर बात करने में कोई बुराई नहीं। सवाल जवाब करना जनता का हक है। किसानों को भाजपा नेताओं को अपने गांव में बुलाकर उनसे पूछना चाहिये कि आखिर वे कृषि कानून के खिलाफ क्यों नहीं हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि अगर भाजपा नेताओं में हिम्मत है तो वो प्रधानमंत्री जी के साथ बैठक कर उन्हें समझाएं कि कृषि कानून किस तरह से एक काला कानून है।
जयंत चौधरी ने कृषि कानून की तुलना खटारा वाहन से करते हुए कहा कि यह किसानों के लिये किसी भी दशा में ठीक नहीं। किसान तब तक आंदोलन करता रहेगा जब तक सरकार इसे वापस नहीं ले लेती। कहा कि किसान आंदोलन को लेकर इंटरनेशनल साजिश के आरोपों को बेबुनियाद बताया। किरण चौधरी ने कृषि कानून को पूरी तरीके से असंवैधानिक बताते हुए कहा कि आने वाले समय में यूपी में विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में किसानों को अपने वोट की कीमत पता होनी चाहिये।
By Satish Srivastava