कलेक्टर विजय दयाराम के. ने कहा कि बस्तर की प्राकृतिक सुंदरता-खूबसूरती, जनजातीय संस्कृति और खनिज संसाधन ही हमारे क्षेत्र की पहचान है। साथ ही क्षेत्र में उद्योग स्थापना की अपूर्व संभावना है, शासन प्रशासन द्वारा भी आवश्यक पहल की जा रही है। मुख्यमंत्री की पहल पर उद्योग विभाग द्वारा उद्योग स्थापना के लिए सिंगल विंडो भी प्रारंभ किया गया है। इसके अलावा उद्योगों और उद्योगपतियों को प्रोत्साहित करने के लिए संभाग मुख्यालय में जीएमडीसी की पदस्थापना किया जा रहा है। उन्होंने वेंडरों को उद्योग स्थापना या व्यापार करने के दौरान यहां की जनता को रोजगार के अवसर देने के साथ-साथ उनके कल्याण का भी ध्यान देने कहा। उन्होंने स्थानीय जनजातिय लोगों को सम्मान जनक जीवन शैली देने की भी पहल करने की बात कही।
वेंडर मीट में देशभर से वेंडर पहुंचे थे। मिली जानकारी के अनुसार इसमें उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल के लोग शामिल थे। वहीं छत्तीसगढ़ से भी बड़ी संख्या में वेंडर यहां पहुंचे हुए थे। इनमें सबसे अधिक दुर्ग और भिलाई के वेंडर थे। यहां इन्होंने लौह और स्टील पर निर्भर या आधारित प्लांट लगाने में रूचि दिखाई। यहां देशभर से करीब २०० से अधिक वेंडर शामिल हुए थे।
नक्सल हमले के नाम पर जाना जाने वाले बस्तर के लिए अच्छी खबर यह थी कि मीट में यहां आने के पहले उनके मन में बस्तर को लेकर क्या पहचान थी, को लेकर सवाल किया गया तो अधिक वेंडरों ने नक्सल समस्या को तीसरे या चौथे स्थान पर रखा। पहले स्थान पर दुरस्थ, पहुंच विहीन समस्या को बताया। इससे साफ है कि बस्तर की तस्वीर अब बदल रही है।
बस्तर की लंबे समय से मांग थी कि एनएमडीसी का मुख्यालय बस्तर में हो। हालांकि यह मांग पूरी तो नहीं हुई लेकिन बस्तर में एनएमडीसी जीएम स्तर के अधिकारी को बैठाने पर राजी हो गया है। जल्द ही इसके लिए अलग से कार्यालय खोलने की तैयारी भी चल रही है। सहाकारी बैंक के करीब इनके कार्यालय को चिन्हाकिंत करने की भी सूचना है।
कार्यक्रम में उपस्थित वेंडरों से भी उन्होंने बस्तर की चर्चा की। कार्यक्रम में एनएमडीसी के अधिकारी, उद्योग विभाग के अधिकारी, विभिन्न राज्यों, प्रदेश के कई जिलों के वेंडर उपस्थित थे।