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इन भैरवनाथ को काशी से किसान कंधे पर लाया था यहां

मूर्ति लगभग 300 वर्ष पहले स्थापित की गई थी, ग्रामीणों की आस्था का केन्द्र हैं निमोडिय़ा के काशी भैरवनाथ

बस्सीOct 25, 2020 / 11:52 pm

Gourishankar Jodha

इन भैरवनाथ को काशी से किसान कंधे पर लाया था यहां

निमोडिय़ा। ग्राम निमोडिय़ा स्थित प्राचीन काशी भैरव नाथ मंदिर की मान्यता दूरदराज के क्षेत्रों तक है। बताया जाता है कि यह मूर्ति लगभग 300 वर्ष पहले स्थापित की गई थी। भैरवनाथ की आस्था के संबंध में स्थानीय ग्रामीणों का मानना है कि इन्होंने यहां कई आपदाओं से भी बचाया है। इसकी देखेरख के लिए यहां भैरव मंदिर समिति बनाई हुई है।
समिति के केसर लाल जाट और भैरव नवयुवक मंडल के प्रहलाद नारायण जाट बताते हैं कि भैरव नाथ की मूर्ति को एक किसान अपने कंधे पर यहां तक लाया था। वो किसान काशी विश्वनाथ की यात्रा पर गया, तभी वहां से मूर्ति लाकर पदस्थापित की। अब इसकी मान्यता के चलते स्थानीय ग्रामीणों के साथ-साथ कोटा, अजमेर, दौसा, जयपुर, टोंक आदि कई जिलों के साथ दिल्ली से श्रद्धालु दर्शनों को आते हैं। माथा टेक मनौतियां मांगते हैं। काशी भैरव नाथ के कई वर्षों से अखंड ज्योत जल रही है।
अनाज का लगाते हैं प्रसाद
ग्रामीण बताते हैं कि क्षेत्र में जब कभी ओलावृष्टि होती है, तो किसान आपदा से बचने के लिए काशी भैरव नाथ का शंखनाद करते हैं।इतना ही नहीं किसी को अपने खेत में पानी के लिए कुआं खुदवाना हो या बोरिंग लगवाना हो, तो काशी भैरव नाथ के पहले धोक लगाते हैं। मान्यता है किक किसान अपने खेत में चार जगह पर चार अलग-अलग प्रकार के अनाज रखता है वहीं चार प्रकार के अनाज भैरवनाथ के सामने भी रखता हैै।
जीर्णोद्धार वर्ष 1992 में किया गया
आज किया विशेष शृंगारसमिति के अनुसार मंदिर का जीर्णोद्धार वर्ष 1992 में किया गया। आज यहां दशहरा पर शृंगार किया गया। नवयुवक मंडल के गुडला दयाराम गुर्जर, विष्णु शर्मा, अजय चौधरी, पोखरमल जाट, रामस्वरूप जाट और पुजारी छोटी लाल कुम्हार ने विजयादशमी पर्व की व्यवस्थाओं को पूरा करते हुए काशी भैरव नाथ का शृंगार किया।

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