आचार्य रमाकान्त शुक्ल को उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इन सम्मानों में प्रमुख हैं पद्मश्री, राष्ट्रपति सम्मान प्रमाणपत्र और साहित्य अकादमी पुरस्कार। बीनू राजपूत के निर्देशन में बनी फिल्म के पटकथा लेखक और निर्माता डॉ. ऋषिराज पाठक हैं। आचार्य रमाकान्त शुक्ल आधुनिक संस्कृत साहित्य के राष्ट्रवादी कवि रहे हैं। आचार्य शुक्ल की कविताओं का मुख्य स्वर भारत की राष्ट्रीय चेतना है। उन्होंने भारत की साहित्यिक परम्परा के संरक्षण और विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। हाल ही इस फिल्म का शुभारंभ एक ऑडिटोरियम में किया गया था, जिसमें दर्शकों ने इसे सराहा।
गुरु-शिष्य परम्परा पर श्रद्धांजलि समर्पण के रूप में फिल्म
फिल्म निर्माता ऋषिराज पाठक ने कहा कि उन्होंने गुरु-शिष्य परम्परा के अन्तर्गत आचार्य रमाकान्त शुक्ल के प्रति एक श्रद्धांजलि समर्पण के रूप में इस फिल्म की योजना बनाई। फिल्म की निर्देशक बीनू राजपूत के नेतृत्व में फिल्म का प्रदर्शन हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रोफ़ेसर राधावल्लभ त्रिपाठी उपस्थित हुए। उन्होंने फिल्म के प्रस्तोता ऋषिराज पाठक को बधाई देते हुए आचार्य रमाकान्त शुक्ल के साहित्यिक अवदान को रेखांकित किया। कार्यक्रम के अध्यक्ष आचार्य ओमनाथ बिमली ने इसे बहुत सार्थक कार्य के रूप में सराहा। संरक्षक आचार्य उमाकांत शुक्ल ने कहा कि यह लघुचित्र बनाकर निर्माता ने मेरे जैसे सभी संस्कृत प्रेमियों के प्रति उपकार किया है जिस वजह से मैं बहुत कृतज्ञ हूँ।
संस्कृत भाषा का न कोई आरंभ, न ही अंत
फिल्म निर्देशक बीनू राजपूत ने यह कहा कि “भारतीय परंपरा के अनुसार संस्कृत भाषा का न तो कोई आरंभ है और न ही कोई अंत। यह शाश्वत है। स्वयंभू ईश्वर ने इसकी रचना की है। यह दिव्य है यह शाश्वत है। इसका प्रयोग सबसे पहले वेदों में किया गया और उसके बाद यह अन्य क्षेत्रों में भी अभिव्यक्ति का माध्यम रहा है। संस्कृत भाषा पर काम कर रहे हैं सभी आचार्य पर फिल्म बनाना बहुत जरूरी हैं। वे लोग अपनी पूरी जिंदगी संस्कृत भाषा के पालन पोषण को समर्पित कर देते हैं”।