आज भी नहीं है संपूर्ण पुनर्वास
मेधा पाटकर ने कहा कि आज भी संपूर्ण पुनर्वास नहीं हुआ है। इसमें अपात्र 8 हजार विस्थापितों का लाभ दिया गया है। 8200 परिवार जो पात्र विस्थापित की श्रेणी में आते है, उनको लाभ देना है, जो नहीं दिया गया है। अभी तक जो आदेश दिए गए है। उनका कोई भी पालन एनवीडीए द्वारा नहीं हुआ है। जीआरए के आदेशों का पालन भी नहीं हुआ है, ऐसे भी सैकड़ंों परिवारों का पुनर्वास में लाभ देना बाकी है। जो नर्मदा ट्रिब्यूनल फैसला, एक्शन प्लॉन 1993, राज्य की पुनर्वास नीति, सर्वोच्च अदालत के फैसले वर्ष 2000, 2005, 2017 एवं राज्य द्वारा आदेशों का भी पालन नहीं हुआ है। इसलिए हमें पालन कराने के लिए लड़ाई लडऩा पड़ता है। आज भी कानूनी तरीके से संपूर्ण पुनर्वास नहीं हुआ है। एनवीडीए द्वारा बेक वॉटर लेवल का भी खेल किया गया है। इसमें 15946 परिवारों को डूब क्षेत्र के बाहर कर दिया है। उन विस्थापितों की संपत्ति विस्थापितों के नाम पर दर्ज करें, जो आज भी नहीं किया गया है। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण द्वारा आजीविका का साधन नहीं दिया गया है, जो विस्थापितों को दिया जाना चाहिए।
दो किस्तों में भुगतान का आदेश
राहुल यादव ने कहा कि जो विस्थापित डूब क्षेत्र में निवास कर रहे है, उन विस्थापितों को 5.80 लाख रुपए एक मुश्त देने की बात है। इस पर भू-अर्जन अधिकारी अभयसिंह अहोरिया ने कहा है कि हमें आदेश दिया गया है कि दो किस्तों में भुगतान किया जाए। राहुल यादव ने कहा मुख्यमंत्री की घोषणा एवं आदेशों को बदलकर विस्थापितों का गुमराह किया जा रहा है। आज भी पात्र विस्थापितों को लाभ प्राप्त नहीं हुआ है। सभी पुनर्वास स्थलों पर समतलीकरण कर नहीं दिया गया है, जो विस्थापितों द्वारा घर प्लॉट के बदले नगद राशि ली गई है। उन विस्थापितों को भी अभी तक प्लॉट नहीं दिया गया है, जो उन विस्थापितों को दें, जो विस्थापित पात्र पहले से है। उन विस्थापितों को 60 बाय 90 का भूखंड देने की पात्रता है। इसके अलावा अन्य मुद्दे भी उठाए गए है।
मकान बनाने के लिए दे रहे पांच लाख
रामेश्वर भीलाला, पेमा भीलाल, कमला यादव व कैलाश यादव ने बताया कि 5.80 लाख रुपए में सभी अनुदानों को जोड कर दिया जा रहा है। इस मुद्दे पर अधिकारी का जवाब है कि हम मकान बनाने के लिए 5 लाख रुपए दिया जा रहा है, जब मेधा पाटकर ने कहा कि धार कलेक्टर के पत्र में लिखा गया है कि इसमें पूर्व से सभी अनुदानों को जोड़ कर दिया जाएगा। सभी भूखंडों की अभी हमारे द्वारा जांच की जा रही है, उसमें बाद कोई भी आदेश आयेगा फिर हम विक्रय पत्र करने की प्रक्रिया कर सकते है, पहले पूर्व भी भ्रष्टाचार हुआ है मुझे नहीं मालूम है। भू-अर्जन अधिकारी द्वारा कहा गया है कि जो आदेश सरकार के होंगे, उसका पालन किया जाएगा। इसके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। आज भी भूमिहीन परिवारों को आजीविका का साधन नहीं मिला है, मछुआरों को मछली पर अधिकार नहीं मिला है, केवट का घाट पर अधिकार भी नहीं मिला है, इस सभी को अधिकार दिया जाएगा।
तीस साल में भी नहीं बढ़ा पुनर्वास अनुदान
मेधा पाटकर ने सवाल करते हुए भू-अर्जन अधिकारी से कहा कि हर साल आपकी तनख्वाह बढ़ती है। पिछले तीस सालों से पुनर्वास अनुदान 18 हजार पर ही अटका हुआ है। बांध की लागत 6 हजार करोड़ से बढ़कर 90 हजार करोड़ हो गई, लेकिन पुनर्वास अनुदान नहीं बढ़ा। बिना पुनर्वास के बांध को पूरा नहीं माना जा सकता। भू-अर्जन अधिकारी ने कहा पुनर्वास अनुदान बढ़ाने की अनुशंसा शासन से की जाएगी। साथ ही अन्य मुद्दों पर भी उन्होंने शासन के सामने रखने, जमीन सर्वे करने की बात भी स्वीकारी।