जिला प्रमुख महेन्द्र चौधरी ने आरोप लगाया कि कंपनी स्थानीय लोगों के हक व अधिकारों को दबाने के लिए पुलिस व प्रशासन के जरिए बेवजह के मुकदमे दर्ज करवा डराने का प्रयास कर रही है, यह कंपनी के अधिकारियों की सबसे बड़ी गलतफहमी है, स्थानीय लोग अपने हक व अधिकार की लड़ाई को शांतिपूर्वक लड़ेंगे। हम भी चाहते हैं कि रिफाइनरी का काम सुचारू रूप से चले, लेकिन कंपनियों की मनमानी के चलते धरने पर बैठना पड़ता है। कुछ आला अफसरों ने मुख्यमंत्री को गुमराह कर गलत रिपोर्ट दी। जिला परिषद सदस्य खेराजराम हुड्डा ने कहा कि वार्ता सकारात्मक रहने के बाद धरना समाप्त कर दिया गया। धरने को जिला परिषद सदस्य उम्मेदाराम बेनीवाल, धनसिंह मौसेरी, मीर मोहम्मद, लक्ष्मणसिंह गोदारा व अमराराम बेनीवाल समेत कई जनों ने संबोधित किया। संचालन राजेन्द्र कड़वासरा ने किया।
वार्ता का आश्वासन
उपखंड अधिकारी नरेश सोनी, तहसीलदार प्रवीण रतनू, पुलिस उपाधीक्षक जग्गुराम पूनिया, थानाधिकारी प्रदीप डांगा धरना ने धरने पर बैठे जिला प्रमुख समेत अन्य लोगों से बात की। जिला प्रमुख ने कलक्टर लोकबंधु से दूरभाष पर बात कर पूरे मामले की जानकारी दी। कलक्टर ने बुधवार सुबह प्रतिनिधिमंडल को पूरे मामले में वार्ता के लिए बाड़मेर बुलाया।