संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग बाड़मेर डॉ. रतनलाल जीनगर ने कहा कि जिले के किसानों की आय की आधी से अधिक आमदनी पशुपालन से होती है इसलिए केन्द्र को पशुपालन में होने वाले नए प्रयोगों एवं अनुसन्धान से प्राप्त होने वाली तकनीकियों को जिले के पशुपालको तक अधिक से अधिक पहुंचाने की कोशिश करनी चाहिए। डिप्टी डायरेक्टर, कृषि विभाग राजस्थान सरकार वीरेंदर सिंह सोलंकी ने कहा कि बाड़मेर जिला बाजरे के क्षेत्र में राजस्थान में पहले स्थान पर है क्योंकि यहो पर लगभग 9.5 लाख हैक्टेयर में पैदा हो रहा है इसकी उत्पादकता बढ़ाने हेतु केन्द्र रिसर्च किस्मों को किसानो तक पहुचाने की कोशिश करें। चीफ मैनेजर बाड़मेर क्रेडिट कोपरेटिव बैंक, बाड़मेर अमराराम चौधरी ने कहा कि बैंक के पास बहुत सी योजनाएं हैं जिससे किसान सब्सिडी के माध्यम से अपने व्यवसाय आसानी से चालू कर सकता है। स्वयं सहायता समूह के लिए बहुत योजना है जिनसे महिलाएं आने वाले समय में उद्यमी बन सकती है।
केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ विनय कुमार ने केद्र की वार्षिक गतिविधियों पर प्रकाशन डाला। विशेषज्ञों एस.एल. कंटवा, श्याम दास,, बी,आर. मोरवाल. बी.एल.डांगी, डॉ सोनाली शर्मा एवं हंसराज सैन ने भी विचार व्यक्त किए। प्रोग्राम सहायक रेखा दातवानी, सुनील राखेचा, आर,ए.पारिक, भूरचद सोनी, महेंद्र खत्री, धीरज शर्मा एवं प्रगतिशील कृषक एवं महिला कृषक मोहन सिंह भाटी, महेंद्र सिंह राठौड़, अणच कोर उपस्थित रहे। बैठक की अध्यक्षता कर रही श्योर की संयुक्त सचिव लता कछवाह ने आभार जताया।