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बाड़मेर

प्रकृति की तरफ लौटना है प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति

-बिना किसी दवा के होता है बीमारियों का इलाज

बाड़मेरNov 19, 2022 / 01:00 pm

Mahendra Trivedi

प्रकृति की तरफ लौटना है प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति

प्रकृति की तरफ लौटना है प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति

प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति सदियों से चली आ रही है, बस उस तरफ लौटने की जरूरत है। जो बिना किसी साइड इफैक्ट के सभी तरह के रोगों का उपचार करने में सक्षम है। आज के आपाधापी और तेज रफ्तार जिंदगी में प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति और भी प्रासंगिक हो जाती है। प्रदूषण और अन्य कई प्रकार के अन्य कारणों से बीमारियों की चपेट में आने की आशंका को प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति समूल रूप से नष्ट करने की क्षमता रखती है।
आयुर्वेद से जुड़ी ही प्राकृतिक चिकित्सा है। इसकी खास बात यह है कि इस चिकित्सा में बिना किसी तरह की दवा निगले उपचार किया जाता है। जिससे व्यक्ति को बिना किसी साइड इफैक्ट के बीमारी से मुक्ति मिलती है। धीरे-धीरे लोग आयुर्वेद के साथ अब प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति की तरफ बढ़ रहे हैं। लोग अब इसकी महत्ता को समझ रहे हैं।
अब हर जिला मुख्यालय पर प्राकृतिक चिकित्सा उपचार केंद्र
प्रत्येक जिला मुख्यालय पर योग प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान केन्द्र संचालित है। जिनमें योग एवं प्राकृति चिकित्सा के विषय विशेषज्ञ उपचार करते है। बाड़मेर में संचालित केंद्र में अभिषेक शर्मा पहले योग व प्राकृतिक चिकित्साअधिकारी के रूप में सेवाएं दे रहे है। वे बताते हैं कि प्राकृतिक चिकित्सा एक जीवन पद्धति है ना कि कोई रोग निवारण का विज्ञान है। यह तो हमें और हमारे जीवन को इस प्रकार बनाती है जिससे व्यक्ति शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक स्वास्थ्य प्राप्त करें।
जटिल व पुरानी बीमारियों का उपचार
ऐसी बीमारियां जिनका उपचार कहीं संभव नहीं हो सका है, उनका उपचार प्राकृतिक चिकित्सा में संंभव माना जाता है। पुरानी और जटिल बीमारियों के अलावा कमर दर्द, घुटनों के दर्द, मोटापा, अर्थराइटिस, नजला, अस्थमा का प्राकृतिक उपचार के साथ निदान को संभव किया जा रहा है। इस पद्धति में जल चिकित्सा, मिट्टी चिकित्सा, आहार और उपवास, भौतिक चिकित्सा, योग व प्राणायाम आदि थैरेपी से चिकित्सा की जाती है।
इसलिए मनाया जाता है दिवस
महात्मा गांधी प्राकृतिक चिकित्सा को श्रेष्ठ मानते थे। गांधी ने अपने आश्रम में प्राकृतिक चिकित्सा से लोगों का उपचार भी किया और इस पर पुस्तक भी लिखी थी। उन्होंने पूणे में 18 नवम्बर 1945 को ऑल इंडिया नेचर क्योर फाउंडेशन ट्रस्ट की स्थापना की थी। इसके कारण 2018 से यह दिवस मनाया जाने लगा। हर वर्ष 18 नवम्बर प्राकृतिक चिकत्सा दिवस मनाया जाता है।
बिना दवा की चिकित्सा पद्धति
प्राकृतिक चिकित्सा में प्रकृति से प्राप्त वस्तुओं से ही बीमारी का इलाज किया जाता है। इसलिए मरीज को कोई साइड इफैक्ट नहीं होते है। जल, मिट्टी, आहार, उपचार और योग व प्राणायाम प्राकृतिक चिकित्सा के प्रमुख घटक है, जो किसी भी तरह की बीमारी का उपचार करने में सक्षम माने गए हैं। इस पद्धति में मरीज को किसी भी तरह की दवा दिए बिना उपचार किया जाता है।
-डॉ. नरेंद्र कुमार, उपनिदेशक आयुर्वेद विभाग बाड़मेर

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