एेसे में आमजन की मांग है कि मालाणी को पुराने समय पर ही दुबारा शुरू किया जाए जिससे कि जोधपुर, जयपुर और दिल्ली की यात्रा उनके लिए सुगम हो सके। सीमावर्ती जिले बाड़मेर में कहने को कोरोनाकाल के बाद रेल सेवा शुरू हुई है लेकिन कोरोना की आड़ में बंद हुई मालाणी एक्सप्रेस के चलते आमजन को रेलवे सुविधा रास नहीं आ रही।
पूर्व में बाड़मेर से दिल्ली के बीच मालाणी एक्सप्रेस चलती थी जो बाड़मेर से शाम छह बजे रवाना होकर रात्रि साढ़े नौ बजे जोधपुर, सुबह चार बजे जयपुर व दस-साढ़े दस बजे तक दिल्ली पहुंचती थी। यह रेल सालों से आमजन के लिए आवागमन का बढि़या साधन थी। जोधपुर व बाड़मेर के बीच अप-डाउन करने वाले कर्मचारी, श्रमिक, व्यापारी छह बजते ही पहुंच जाते जिस पर रेल में पर्याप्त यात्री होते थे। वापसी में यह ट्रेन सुबह साढ़े नौ बजे बाड़मेर पहुंचती थी जिस पर वापसी में भी अप-डाउन करने वालों के लिए बेहतर विकल्प था।
रेलवे ने कुछ समय पहले मालाणी को बंद कर मंडोर एक्सप्रेस को जोधपुर की जगह बाड़मेर से संचालित करने का निर्णय किया जिसका पूरे जिले में विरोध हुआ तो मामला रुक गया। इसके बाद कोरोना के चलते रेल सेवाएं बंद होने पर मालाणी भी बंद हो गई। अब जबकि रेलवे ने रेलों का पुन: संचालन किया है तो मालाणी का संचालन नहीं हो रहा। इस पर आमजन को आवागमन में दिक्कत हो रही है।
दोपहर बाद नहीं कोई रेल- बाड़मेर जिला मुख्यालय है जिसके आसपास बीएसएफ, आर्मी, एयरफोर्स, पेट्रोलियम कम्पनियां आदि भी है जिनसे जुडे़ लोग अपने घर जाने के लिए मालाणी का उपयोग करते थे। अभी सुबह पौने पांच बजे व दोपहर एक बजे जोधपुर तक दो सामान्य गाडि़यां हैं। दोपहर बाद कोई रेल सेवा नहीं है।
रात की सेवा नहीं आ रही रास- मालाणी बंद होने के बाद बाड़मेर-जम्मूतवी एक्सप्रेस का संचालन बाड़मेर से रात्रि में ११:५५ हो रहा है जो हफ्ते में तीन दिन रविवार, मंगलवार व शुक्रवार को जाती है जबकि सोमवार, गुरुवार व शनिवार को वापसी करती है। वापसी में भी यह ट्रेन करीब चार बजे बाड़मेर पहुंचती है। एेसे में रात्रि की यात्रा अधिकांश लोगों को रास नहीं आ रही।