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बाड़मेर

दोस्ती की रेल:16 साल में 4 लाख हिन्दुस्तानी-पाकिस्तानी हुए सवार

फ्रेंड्सशिप डे स्पेशल

बाड़मेरAug 04, 2019 / 07:01 pm

भवानी सिंह

Friendship Day Special

Friendship Day Special

भवानीसिंह राठौड़@बाड़मेर. भारत और पाकिस्तान के बीच कड़वाहट और तनाव के लाख उदाहरण है लेकिन दोस्ती की मिसालें बहुत कम। इसमें से एक है थार एक्सप्रेस। दोस्ती की यह रेल 18 फरवरी 2006 को शुरू हुई थी जो अनवरत जारी है। अब तक 4 लाख के करीब हिन्दुस्तानी-पाकिस्तानी यात्रियों ने इसमें सफर किया है। हर हफ्ते चलने वाली रेल में कई मौके आए जब ईद, दिपावली, होली, रमजान और नवरात्रा में एक साथ दोनों मुल्कों के लोगों ने मनाए। इस रेल ने दोनों देशों में रोटी-बेटी और नाते-रिश्तेदारी की डोर को फिर से जोड़ दिया है। जिससे 1947 के बंटवारे के बाद से बंटे हुए परिवारों का मिलन हुआ है और 15 से 20 साल बाद कई लोग अपनों से मिल रहे है। नई पीढ़ी भी अब दोस्ती के नए रिश्ते को जीने लगी है।
बाड़मेर शहर का शंकर 27 साल का हुआ तब तक नानी की शक्ल नहीं देखी थी लेकिन तीन साल पहले इस रेल में सफर कर ननिहाल जाकर आया है। अगासड़ी गांव की रेशमा ने पिछले साल जीवन के अंतिम दिनों मेंअपनी तीन बहिनों से मिलने की मुराद इसी रेल से पूरी की। पिछले एक साल में पांच बारातें इस रेल से गई और जिंदगी का नया सफर दोनों देशों के साथ शुरूआत हुआ। पाकिस्तान में बसे हिन्दू परिवारों के लिए हरिद्वार में आकर अस्थि विसर्जन की सालों की मुरादें पूरी हो रही है तो दूसरी ओर अजमेर शरीफ के मुरीद भी अब ऊर्स पर आने लगे है। रक्षा बंधन को इस रेल से राखियां जाएंगी तो खुद बहिनें पाकिस्तान से आएगी भी और जाएगी भी। यह तमाम उदाहरण बता रहे है कि यह रेल रिश्तों की नई डोर दोस्ती के सफर को जारी रखे हुए है।

थार एक्सप्रेस एक नजर

भारत-पाकिस्तान के बीच रेल पटरी बिछी थी लेकिन 1965 के युद्ध में क्षतिग्रस्त हो गई। 18 फरवरी 2006 को 41 साल बाद थार एक्सप्रेस दोस्ती की रेल शुरू की गई। पाकिस्तान के कराची और भारत के जोधपुर तक 381 किमी का सफर यह रेल तय करती है। निर्धारित यात्रा समय 7 घंटे 05 मिनट का है। इमीग्रेशन और कस्टम जांच की वजह ये यह समय 36 घंटे तक हो जाता है। भारत में मुनाबाव और पाकिस्तान में खोखरापार अंतिम स्टेशन है। यह रेल साप्ताहिक चलती है।
क्या है यात्रियों की मांग
– रेल में एसी कोच नहीं है, लिहाजा परेशानी आती है। बडे़ बुजुर्गों के लिए एसी कोच लगाए जाएं
– मुनाबाव में इंटरनेट की सुविधा गड़बड़ाने से आठ से दस घंटे रेल देरी से पहुंच रही है,इसका समाधान हों
– पाकिस्तान के रेलवे स्टेशन पर सुविधाएं नहीं है, छप्पर लगे है। यहां सुविधाएं की जाए
– बाड़मेर में रेल का ठहराव हों और बाड़मेर-जैसलमेर में भी यात्रियों को आने की अनुमति मिले ताकि वे अपनों से मिल सके
मिसाल है
भारत पाकिस्तान के बीच में रिश्तेदारी, दोस्ती और सकून की इससे बड़ी मिसाल कोई नहीं है। 16 साल के इस सफर ने पाक विस्थापित परिवारों के तमाम टूटते रिश्तों को फिर से जोड़ दिया है। नई रिश्तेदारियां हो रही है। यह दोस्ती का सुहाना सफर दोनों मुल्कों की संवेदनशीलता का बेमिसाल उदाहरण है।- डा. बाबूदान, अध्यक्ष धाट वेलफेयर सोसायटी

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