चातुर्मास के दौरान शुभ कार्यों को वर्जित माना जाता है। ऐसे में पिछले चार महीनों से शादी, गृहप्रवेश, मुंडन, नव व्यवसाय सहित कई कार्य नहीं हो रहे थे। अब देवउठनी से फिर से शुरू हो जाएंगे। हालांकि अभी एक दिन शुक्रवार को देवउठनी पर शादी-विवाह का मूहुर्त है। इसके बाद सूर्य के राशि परिवर्तन के साथ ही 19 नवंबर से शहर में शादियों की धूम शुरू होगी। इसके बाद अनवरत विवाह समारोह के मंडप सजेंगे।
तुलसी विवाह की परंपरा धार्मिक मान्यता के अनुसार एकादशी को भगवान शालिग्राम एवं तुलसी का विवाह संपन्न करवाया जाता हैं। पूर्ण रीति रिवाज से विवाह होता है। विवाह गीत भी गाए जाते हैं। पारंपरिक रूप से गौधूलि वेला के साथ ही शुभ लग्न में पूजन किया जाता हैं।
15 दिसम्बर से एक माह बाद फि र लगेगा ब्रेक नवंबर व दिसंबर में पाणिग्रहण संस्कार के कई शुभ मुहूर्त रहेंगे। ऐसे में मलमास के कारण एक माह के लिए 15 दिसंबर को गुरु अस्त होने के अगले दिन 16 दिसंबर से धनु का कर्क राशि मे होने से मलमास शुरू होगा।
इसके बाद करीब एक माह तक शादी समारोह सहित अन्य सभी मांगलिक कार्य नहीं होंगे। इसके बाद जनवरी 2020 में 14 जनवरी के बाद विवाह व मांगलिक कार्य फि र से शुरू हो सकेंगे।
पंडित सतीराम गौड़