बच्चों को नहीं मिल रहा गर्म पोषाहार
केंद्र पर बच्चों का बुलाने का सिलसिला जारी
बच्चों को नहीं मिल रहा गर्म पोषाहार
सिणधरी . राज्य सरकार ने महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों पर कोरोना काल के बाद वापस एक अप्रैल से बच्चों का ठहराव तो शुरू कर दिया, लेकिन कार्यकर्ताओं के सामने केंद्रों पर भूखे प्यासे बच्चों को रोकना किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है।
अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्र स्कूलों में संचालित होने से स्कूल के नामांकित बच्चे तो मिड डे मील के तहत बनने वाले पोषाहार को खाते हैं। लेकिन उसी स्कूल में आंगनबाड़ी में पढऩे आने वाले छोटे बच्चे पोषाहार से वंचित है। ऐसे में कार्यकर्ता अपने स्तर पर छोटे बच्चों के लिए कुछ खाने पीने का इंतजाम करती है। अधिकारी भी जांच के दौरान बच्चों की उपस्थिति जांचते है। कब कौन निरीक्षण पर आ जाए इसको लेकर पूरे 4 घंटे तक बच्चों को केंद्र पर रोके रखना कार्यकर्ताओं के लिए चुनौतीपूर्ण होता है। बच्चे रोज केंद्र पर आए इसके लिए कार्यकर्ता अपने स्तर पर कुछ खाने की वस्तु लेकर जाती है।
शाला पूर्व मिलती है शिक्षा
आंगनबाड़ी केंद्र पर खेल-खेल में शाला पूर्व शिक्षा देने के उद्देश्य को लेकर 2 वर्ष से 6 वर्ष तक के बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्र में नामांकित किया जाता है। जिससे वह इन केंद्रों में दी जाने वाली शाला पूर्व शिक्षा ग्रहण कर सके।
होती है परेशानी
पूर्व में आंगनबाड़ी केंद्रों पर स्वयं सहायता समूह के माध्यम से बच्चों को गर्म पोषाहार के दौरान गुड , भुगड़े,परमल,खिचड़ी,दलिया उपलब्ध होता था कोविड-19 के चलते बच्चों को चने की दाल गेहूं चावल देना शुरू कर दिया। जब तक बच्चों का ठहराव भी बंद कर दिया था। अब केंद्र पर बच्चों को ठहराव की प्रक्रिया शुरू हो गई लेकिन बच्चों के लिए पोषाहार का इंतजाम सरकार ने अभी तक नहीं किया। बच्चों को केंद्र पर सरकार की ओर से कोई खाना या नाश्ते का प्रबंधक नहीं होने से अब अभिभावक ने भी आंगनबाड़ी केंद्र पर बच्चों को भेजने से किनारा करना शुरू कर दिया है। अभिभावकों ने बताया कि 4 घंटे तक बच्चों को भूखा रखना हमारे लिए उचित नहीं है।
अप्रेल का अभी तक नहीं मिला पोषाहार : आंगनबाड़ी केंद्रों पर कोरोना काल में शुरू किया गया कॉम्बो पैकेट पोषाहार योजना में जनवरी से लेकर मार्च तक आंगनबाड़ी केंद्र पर गेहूं व चावल उपलब्ध करवा दिए गए लेकिन दाल उपलब्ध नहीं होने के कारण अभी भी बच्चों को इंतजार करना पड़ रहा है। साथ ही अप्रेल माह का पोषाहार भी अभी तक पूरा ही केंद्रों पर नहीं पहुंचा है।
&अधिकतर अभिभावक बच्चों को भेजना भी नहीं चाहते हैं। पिछले तीन महीनों से दाल भी बकाया है अप्रेल का पूरा पोषाहार भी बाकी है। – जेती देवी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता
&केंद्रों पर अलग-अलग समूह में बच्चों को बुलाना शुरू किया है पोषाहार की व्यवस्था अभी तक नहीं हुई है। अप्रेल का पोषाहार बकाया है, जल्द ही पोषाहार मिलेगा। घेवर चंद राठोर बाल विकास परियोजना अधिकारी सिणधरी
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