स्पाइनलेस कैक्टस को भेड़, बकरी, गाय, भैंस पशु खाते हैं। इसे खेत में लगाने के लिए कांटेदार बाड़ की जरूरत रहती है। जिन किसानों के खेत में तारबंदी है, वहां पर बायफ (भारत एग्रो-इंडस्ट्री फाउंडेशन) ने महज 1,000 रुपए में 100 कैक्टस लगाए हैं। क्लेडोडस यानी कैक्टस के पत्ता का रोपण किया जाता है। यह छह महीने में तैयार हो जाता है। एक दर्जन बकरियों के लिए 100 कैक्टस पर्याप्त है।
बाड़मेर के निकटवर्ती गांव उंडखा में भारत एग्रो इंडस्ट्री फ ाउंडेशन का फ ार्म है। यहां वर्ष 2015-16 में प्रायोगिक तौर पर स्पाइनलेस कैक्टस लगाए गए, जो बिना पानी के पनप गए। इससे पशुपालकों को काफी सुविधा मिली। इसके बाद नाबार्ड के वित्तीय सहयोग से वर्ष 2019 से किसानों के सूखे खेतों में कैक्टस लगाने का काम शुरू हुआ।
बायफ के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी विजय कुमार शर्मा ने बताया कि उखेड़ा गांव के उन्होंने किसान बाबूलाल के खेत में 100 कैक्टस लगाए थे। इन्हीं कैक्टस के क्लेडोडस से किसान ने अपने खेत में पांच हजार कैक्टस लगा दिए। वह अपने सभी पशुओं को वर्ष भर हरा चारा खिला रहे हैं । आसपास के किसान उनके खेत से क्लेडोडस ले जाकर अपने खेतों में लगा रहे हैं। इसके रोपण के लिए बरसात का मौसम सर्वाधिक उपयुक्त रहता है। इसके पौधे की उम्र करीब तीस से चालीस वर्ष है।