प्रदेश में प्रतिघंटा करीब 11000 मेगावाट विद्युत की खपत हो रही है यानि बाड़मेर करीब 20 प्रतिशत तक की आत्मनिर्भरता लिग्नाइट पॉवर प्लांट के जरिए दे देगा। राज्य सरकार इसके साथ ही गिरल लिग्नाइट पॉवर प्लांट की बंद पड़ी 250 मेगावाट की दोनों इकाइयों को भी संचालित करने का कदम उठाती है तो बाड़मेर से लिग्नाइट आधारित विद्युत प्लांट प्रदेश में विद्युत संकट के मोचक बन सकते है।
सोलर और पवन ऊर्जा की विपुल संभावनाएं प्रदेश में पवन ऊर्जा में अभी 4000 मेगावाट प्रतिघंटा का उत्पादन है, इसमें सर्वाधिक जैसलमेर जिले से आ रहा है। सौर ऊर्जा का करीब 3500 मेगावाट प्रतिघंटा उत्पादन है। इसमें बड़ला फलौदी ओर बीकानेर में ज्यादा है लेकिन आने वाले समय में बाड़मेर में सौर ऊर्जा को लेकर बड़ा कार्य किया जा सकता है।
गिरल पड़ा है बंद बाड़मेर का गिरल पॉवर प्लांट करीब आठ साल से बंद पड़ा है। तकनीकी खामी और घाटे का सौदा बताकर इसको बंद कर दिया गया है। इस प्लांट के 20 किलोमीटर दूर ही भादरेस पॉवर प्लांट (निजी) में 1080 मेगावाट विद्युत उत्पादन हो रहा है और 1080 मेगावाट का और प्रस्ताव भेजा है। गिरल की संभावनाएं सरकार तलाशती है तो यह प्लांट भी फिर से शुरू किया जा सकता है।
बाड़मेर में विद्युत की संभावनाएं भादरेस पॉवर प्लांट की सफलता ने बाड़मेर में लिग्नाइट आधारित पॉवर प्लांट की संभावनाएं बढ़ा दी है। सोलर और पवन ऊर्जा को लेकर भी बड़े स्तर पर काम किया जाए तो संभावनाएं विपुल है। बिजली की आत्मनिर्भरता में बाड़मेर के प्लांट से भविष्य है।
– मांगीलाल जाट, अधीशासी अभियंता