इसके बांस ने केवल थार में हरियाली छाएगी वरन कुटीर उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा। बाड़मेर-जैसलमेर की जमीन पर आने वाले सालों में बांस लहलहाते नजर आएं तो कोई अचरज नहीं होगा। क्योंकि अब नवाचार के तहत बांस के पौधे भी यहां लगाए जा रहे हैं।
बाड़मेर जिला मुख्यालय पर बीएसएफ की पचासवीं बटालियन के परिसर में एक हजार पौधे दिए गए। वहीं जैसलमेर में भी तनोट क्षेत्र में बीएसएफ के सहयोग से एक हजार बांस के पौधे लगाए गए हैं। इन पौधों की देखरेख का जिम्मा बीएसएफ जवानों ने लिया है। इसके पीछे मंशा यह है कि उनकी उचित देखभाल होगी। बीएसएफ परिसर में पौधों को वातारण अनुकू ल मिला तो फिर आगामी समय में आमजन को पौधे बांट कर बांस लगाने का प्रेरित किया जाएगा। तीन साल में तैयार, सौ किलो तक बांस– जानकारी के अनुसार बांस का पौधा तीन साल में तैयार होगा। जिसके बाद करीब सौ किलो बांस का उत्पादन होगा। बांस की स्थानीय स्तर पर भी खाफी खपत होने से किसानों को बाजार ढूंढऩे की जरूरत भी नहीं होगी।
कुटीर उद्योग से मिलेगा रोजगार– बांस का उपयोग अगरबत्ती बनाने में बहुतायत होता है। जिले में अगरबत्ती कुटीर उद्योग कई जगह चल रहा है, जिस पर बांस की मांग पूरी होने की उम्मीद जताई जा रही है। वहीं, बांस से फर्नीचर, घरेलू साज सज्जा के सामान, घरेलू उपयोग की सामग्री आदि भी बनाई जा सकती है। इस पर कुटीर उद्योग पनपने की उम्मीद है।
उदयपुर में ग्राम पंचायतों को बांटे पौधे- बाड़मेर-जैसलमेर में जहां बीएसएफ को पौधे बांटे गए हैं। वहीं, उदयपुर में तीन हजार पौधे ग्राम पंचातयों को दिए गए हैं। वहां वातावरण अनुकू ल होने से ग्राम पंचायतों के मार्फत आमजन तक बांस पहुंचेगा।
सफलता मिली तो पनपेगा कुटीर उद्योग- बांस लगाने के पीछे एक तरफ जहां हरियाली को बढ़ावा देना है तो दूसरी ओर कुटीर उद्योग पनपाने की योजना है। बांस का उपयोग प्राय: हर जगह होता है। एेसे में इसकी मांग व बाजार स्थानीय स्तर पर ही है। बाड़मेर-जैसलमेर में बांस की पैदावार होती है तो खादी के साथ-साथ कुटीर उद्योग से भी रोजगार मिलेगा।- बद्रीलाल मीना, निदेशक खादी ग्रामोद्योग आयोग राजस्थान