पीहर का नाम लेते ही आंखें नम। परिजन की याद और उनकी खैरियत की हर समय जुबान पर दुआ। ससुराल के भी किसी सदस्य को आंच न आए। पीहर पाकिस्तान को छोडकऱ भारत में सुसराल का रिश्ता जोड़ चुकी महिलाएं भारत-पाक के बीच उपजे तनाव में सबसे ज्यादा तनावग्रस्त हैं। बाड़मेर में शुक्रवार को लक्ष्मीबाई, पारसबाई, कविताबाई, एनवबाई, उगमबाई, नखतकंवर एवं लालूबाई ने नागरिकता लेने के बाद कहा कि पीहर-ससुराल दोनों ही अच्छे लगते हैं। बस दोनों के बीच में आतंकवाद खराब है। इसका खात्मा होना चाहिए। हम तो जब तक सांस है यहीं कहेंगी कि न पीहर छूटे न ससुराल।
दानजी की होदी में रह रहे मोहरसिंह 2003 में भारत आ गए। उनकी शादी यहीं हुई है। रिश्तेदार भी यहीं थे। शादी के बाद मोहरसिंह को पत्नी के साथ यहीं रहना पड़ा। वे कहते है कि इस मुल्क में शांति है लेकिन मेरी मां वहां है। मैं क्यों ऐसे कई लोग है जिनके अपने उधर है। हम तो यही चाहते है कि दोनों देशों के रिश्ते कभी खराब न हों। दोष आतंकवाद का है। इसको जड़ से खत्म करने के लिए दोनों ही वतन एक साथ जो करना है करे।