बरेली

क्या होता है ट्राइकोलोटोमेनिया, जिसमें व्यक्ति खाने लगता है बाल? जानें क्या हैं इसके कारण

Trichotillomania: बरेली में महिला की पेट की सर्जरी से बाल का गुच्छा निकला है। डॉक्टरों के मुताबिक, बाल खाना एक तरह की बीमारी है। आइए जानते हैं इस बीमारी के बारे में सबकुछ…

बरेलीOct 09, 2024 / 12:47 pm

Sanjana Singh

Trichotillomania

Trichotillomania: उत्तर प्रदेश के बरेली में हाल ही में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां एक 31 वर्षीय महिला के पेट से डॉक्टरों ने ऑपरेशन करके बाल का गुच्छा निकाला है। सर्जरी की मदद से महिला के पेट से करीब दो किलो बाल निकाले गए हैं। पूछताछ में पता चला है कि महिला करीब पिछले 15 सालों से बाल खाती है। आइए जानते हैं कि यह कौन सी बीमारी है।

ट्राइकोलोटोमेनिया नाम की बीमारी से ग्रस्त है महिला

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बरेली के महाराणा प्रताप जिला अस्पताल में महिला की सर्जरी की गई। मनोचिकित्सक डॉ. आशीष कुमार के अनुसार, ट्राइकोलोटोमेनिया से पीड़ित व्यक्ति अपने सिर के बाल तोड़कर खाता है। जिला अस्पताल की एडी एसआईसी डॉ. अलका शर्मा ने बताया कि अस्पताल में ट्राइकोलोटोमेनिया के किसी मरीज की सर्जरी इससे पहले कब हुई थी, इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। पिछले 25 सालों में इस तरह का मामला सामने नहीं आया है।
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क्या है ट्राइकोटिलोमेनिया नामक बीमारी?

ट्राइकोटिलोमेनिया (Trichotillomania) में व्यक्ति बार-बार अपने सिर या शरीर के अन्य हिस्सों से बाल खींचता है। इससे ही जुड़ा है ट्राइकोफोटोमेनिया (Tricho Photomania), जो एक मानसिक स्वास्थ्य विकार है, जिसमें व्यक्ति के बाल खाने की इच्छा होती है। 
कोई व्यक्ति जब अपने बाल खींचता है और फिर उन बालों को खाता है, तो इसे ट्राइकोफेजिया (Trichophagia) कहा जाता है, जो ट्राइकोटिलोमेनिया का ही एक गंभीर रूप है। यह बाल खाने की प्रवृत्ति धीरे-धीरे विकसित हो सकती है और इसके परिणामस्वरूप रापुन्ज़ेल सिंड्रोम (Rapunzel syndrome) नामक गंभीर समस्या भी हो सकती है, जिसमें पेट में बालों का गुच्छा (Hairball) बन जाता है।
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ट्राइकोफोटोमेनिया बिमारी के कारण

यह समस्या आमतौर पर मानसिक तनाव या चिंता के कारण हो सकती है। साथ ही, डिप्रेशन, ऑब्सेसिव-कम्पल्सिव डिसऑर्डर (OCD), और अन्य मानसिक विकारों से पीड़ित व्यक्तियों में ट्राइकोफोटोमेनिया का खतरा बढ़ जाता है। इसके इलाज के लिए संज्ञानात्मक व्यवहार चिकित्सा (Cognitive Behavioral Therapy – CBT) और दवाइयों का सहारा लिया जा सकता है।

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