ब्रह्माोस मिसाइल से लैस होने के बाद त्रिशूल एयरबेस की मारक क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी। आपको बता दें कि ब्रह्मोस दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक मिसाइल है। बंगाल की खाड़ी में सफल प्रयोग के बाद अब ब्रह्माोस को जल, थल और वायु कहीं से भी लॉन्च कर सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक इस मिसाइल को सुखोई विमान से जोड़ने, फायर टेक्निक्स के अलावा अन्य कौन कौन सी विपरीत परिस्थितियों में इसका प्रयोग किया जा सकता है, इस बारे में रिसर्च चल रही है।
ब्रह्माोस अपनी ध्वनि की गति से भी तीन गुना तेज गति से चलती है, यानी इसके जरिए 10 मिनट में दुश्मन को धूल चटाई जा सकती है। बता दें कि त्रिशूल एयरबेस के अलावा आसाम का तेजपुर एयरबेस भी सुखोई से लैस है। दोनों एयरबेस उत्तरी सीमा से सटे देशों की हवाई गतिविधि पर निगाह रखते हैं। सुखोई को ऑपरेट करने के लिए एयरबेस को चाक चौबंद किया जा रहा है।
त्रिशूल एयरबेस चीन की सीमा के नजदीक होने के कारण इसे चीन से जोड़कर देखा जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक देश की सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करने व समय पड़ने पर चीन को सबक सिखाने के लिए त्रिशूल एयरबेस में ब्रह्मोस मिसाइल को रखने की तैयारियां तेज हो गई हैं।
त्रिशूल एयरबेस से लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोलिंग यानी एलएसी की निगरानी की जाती है। इसलिए ये सुरक्षा के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण यूनिट है। जानकारी के मुताबिक एयरफोर्स कंट्रोल रूम को काफी अलर्ट रहना पड़ता है। वह कभी सोता नहीं, क्योंकि उसकी एक झपकी देश के लिए बड़ी मुसीबत बन सकती है। दुश्मन देशों की आसमान के रास्ते हो रही गतिविधियों की निगरानी यहीं से होती है। ब्रह्मोस मिसाइल सुखोई विमान पर तैनात अब तक का सबसे भारी हथियार है।
– 14 अगस्त 1963 को वायु सेना स्टेशन बरेली की स्थापना हुई
– इस एयरबेस में 6 वर्षो से सिमुलेटर पर जूनियर पायलट को दे रहे हैं ट्रेनिंग
– एक कंट्रोल रूम के जरिए हो रही देश की सीमा की मॉनीटरिंग
– एयरबेस से उत्तरी सीमा के पहाड़ी क्षेत्रों में की जा रही निगरानी
– थल सेना की यूनिटों को भी वायु सहायता उपलब्ध कराता है