कई तरह के काम सिखाए जाते हैं अस्पताल में इस समय मानसिक अस्पताल में कई रोगी ऐसे है जो धीरे धीरे ठीक हो रहे हैं। ऐसे रोगियों को अस्पताल में ही कई तरह के काम सिखाए जाते हैं जिसमें कुर्सी बुनना, बागवानी, थैले आदि बनाने का काम शामिल है।अस्पताल की निदेशक प्रमिला गौड़ ने जो रोगी ठीक हो रहे हैं उनको कागज के थैले बनाने का काम सिखवाया और कुछ दिन की ट्रेनिंग के बाद ये रोगी कागज के थैले बनाने में माहिर हो गए। ये रोगी अस्पताल के पुराने अख़बार और रद्दी के कागज से बनाते है और ये थैले अस्पताल के मेडिकल स्टोर में दे दिए जाते है।
500 मरीज आते हैं रोज मानसिक अस्पताल की ओपीडी में रोजाना 400 से 500 के बीच मरीज आते है और इन मरीजों को अस्पताल से ही दवाइंया दी जाती हैं जिनको लेने के लिए मरीज प्लास्टिक की थैली लेकर आते थे लेकिन अब अस्पताल में ही बने थैलों में ही मरीजों को दवाइयां दी जा रही हैं। इससे मरीजों की परेशानी तो दूर हो ही रही है अस्पताल में भी पॉलिथीन का प्रयोग बंद हो गया है।अस्पताल की निदेशक डॉक्टर प्रमिला गौड़ ने बताया कि मानसिक मंदित लोगों से थैले बनवाने में शुरू में कुछ परेशानी आई थी लेकिन अब ये लोग पूरी तरह से ट्रेंड हो गए है और इनके बनाए हुए थैलों में ही मरीजों को दवाइयां दी जा रही हैं।