शरीर को बना रहे बीमारियों का घर डॉ. वली ने यह भी बताया कि आज के दौर में कंपनियों के उत्पादों का अधिक सेवन करके हमने अपने शरीर को बीमारियों का घर बना लिया है। उनके अनुसार, इस देश को निरोग करने के लिए डॉक्टरों की नहीं, बल्कि किसानों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि नियमित रूप से मिलेट्स का सेवन विभिन्न बीमारियों का प्रभावी समाधान है। मिलेट्स न केवल शरीर को फिट रखता है, बल्कि पर्यावरण को बचाने में भी सहायक है। इसके अलावा, यह हार्मोनल असंतुलन को भी सुधारने में मदद करता है।
डॉ. आरके सिन्हा के विचार: कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और पूर्व सांसद डॉ. आरके सिन्हा ने बताया कि हमारे पूर्वज मिलेट्स का सेवन करके सौ वर्षों तक स्वस्थ जीवन जीते थे। हालांकि, प्राकृतिक रूप से 200 प्रकार के मिलेट्स पाए जाते हैं, लेकिन मुख्यतः पांच प्रकार के मिलेट्स – कोदो, कुटकी, कंगनी, सावां और हरा सावां – सेहत के लिए सबसे उपयुक्त हैं। डॉ. सिन्हा ने कहा कि कोरोना महामारी के बाद मिलेट्स के महत्व को पहचान मिली है। उन्होंने यह भी चिंता व्यक्त की कि सरकार धान, गेहूं और गन्ने की खेती पर सब्सिडी दे रही है, जबकि मिलेट्स के उत्पादन पर सेवा शुल्क लगाया जा रहा है।
मिलेट्स की खेती और पर्यावरण: डॉ. वली ने यह भी बताया कि एक किलो चावल के उत्पादन में लगभग 8,000 लीटर पानी खर्च होता है, जबकि एक किलो मिलेट्स के उत्पादन में मात्र 250 से 300 लीटर पानी की जरूरत होती है। अगर हम धान, गेहूं और गन्ने की खेती को छोड़कर मिलेट्स की खेती की ओर बढ़ते हैं, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए हजारों वर्षों तक जल संसाधन सुरक्षित कर सकते हैं।
योग और मिलेट्स दोनों जरूरी: कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के वन और पर्यावरण मंत्री डॉ. अरुण सक्सेना ने मिलेट्स को सेहत के लिए उतना ही जरूरी बताया जितना कि योग शरीर के लिए है। उन्होंने कहा कि जैसे स्वस्थ शरीर के लिए योग आवश्यक है, उसी प्रकार मिलेट्स का सेवन भी अनिवार्य है। कार्यक्रम में विधायक संजीव अग्रवाल, एमपी आर्या, एडवोकेट अनिल सक्सेना और संगत पंगत की राष्ट्रीय संयोजिका रत्ना सिन्हा सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम के समापन पर धन्यवाद ज्ञापन नारायण कॉलेज के चेयरमैन शशिभूषण द्वारा किया गया।