ग्रामीण क्षेत्र से रेफर होकर अस्पताल आते हैं बच्चे
देहाती क्षेत्रों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से प्रसव के बाद गंभीर हालत में नवजात शिशुओं को जिला महिला अस्पताल रेफर किया जा रहा है। इस साल जून से अक्टूबर तक, अस्पताल में इलाज के दौरान 234 नवजातों की मौत हो चुकी है। इस बढ़ती संख्या ने सरकारी प्रयासों पर सवाल खड़े कर दिए हैं, क्योंकि शिशु मृत्यु दर को कम करने के उद्देश्य से शुरू की गई योजनाएं नाकाफी साबित हो रही हैं।
शिशु संरक्षण समिति हो रही नाकाम
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, शिशु संरक्षण समिति का कार्य गर्भवती महिलाओं को समय पर पोषण, संतुलित दिनचर्या और स्वास्थ्य जांच के महत्व को समझाना है। इसके अलावा, प्रसव के बाद किसी भी नवजात की मृत्यु होने पर उसका ऑडिट किया जाता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि मौत का कारण क्या था और भविष्य में इसे कैसे रोका जा सकता है।
अस्पताल प्रशासन का बयान
जिला महिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. त्रिभुवन प्रसाद ने बताया कि शिशु संरक्षण को लेकर अस्पताल का स्टाफ लगातार प्रयासरत है और मरीजों को जागरूक कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों की तुलना में अस्पताल में शिशु मृत्यु दर में थोड़ी कमी आई है, हालांकि, हालिया मामलों में मरने वाले अधिकतर शिशु गंभीर हालत में देहाती इलाकों से रेफर होकर आए थे।