जीआईएस सर्वे के बाद नगर निगम ने हाउस टैक्स के बिलों को संशोधित कर उन्हें जारी कर दिया। इसको लेकर शिकायतों में बड़े पैमाने पर टैक्स बढ़ा दिए जाने के तो आरोप हैं ही, इसके अलावा आवासीय संपत्ति को व्यावसायिक, किसी के मकान किसी और का फोटो साफ्टवेयर में अपलोड करने, गलत मोबाइल नंबर दर्ज कर दिए जाने जैसी कई दिक्कतें बयान की गई हैं। नगर निगम ने इस टैक्स को पिछले वित्तीय वर्ष से लागू किया है और उन लोगों के बिलों में एरियर भी जोड़ दिया है जो उसकी अदायगी कर चुके हैं।
इन गड़बड़ियों पर कई दिनों से लगातार विरोध हो रहा है। पार्षदों से लेकर व्यापारी और तमाम संगठन विरोध में खड़े हैं। कई बार पार्षदों के साथ इस मसले पर बातचीत हो गई है। पार्षद राजेश अग्रवाल ने कहा कि पूरे उत्तर प्रदेश में बरेली अकेला ऐसा शहर है जहां जनता का इस तरह का उत्पीड़न हो रहा है। वह इस समस्या के निदान के लिए सड़क से लेकर नगर निगम बोर्ड तक आवाज उठाएंगे। उपसभापति सर्वेश रस्तोगी, पार्षद मुकेश सिंघल, सलीम पटवारी ने कहा कि अब हम कोई बातचीत नहीं करेंगे। बोर्ड बैठक में ही इस मुद्दे पर चर्चा होगी। रुहेलखंड उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार मेहरोत्रा ने बताया कि रामपुर बाग की एक कोठी में छोटी सी दुकान खोली गई है। सर्वे में पूरी कोठी को कॉमर्शियल बता दिया गया है। नगर निगम की धारा 174 के उपबंध 3/2 के तहत 20 वर्ष पुराने भवनों पर छूट मिलती है लेकिन इसे भी समाप्त कर दिया गया है।