सिख समुदाय के नहीं, ईसाइयों वाले रखें अपने नाम गुरुद्वारा कमेटी ने इन परिवारों का सिख समाज से बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। कमेटी का कहना है कि ये परिवार सिख वेशभूषा का सहारा लेकर सिख समुदाय के बीच घुलमिल कर उन्हें मतांतरण के लिए भड़का रहे हैं। इस मुद्दे पर शनिवार को गुरुद्वारा कमेटी की ओर से एक पत्र जारी किया गया, जिसमें सिख समाज से अपील की गई कि वे इन परिवारों से दूरी बनाए रखें और इनके साथ कोई सामाजिक या धार्मिक संपर्क न रखें। पत्र में यह भी कहा गया कि मतांतरण कर चुके परिवार अपने नाम भी ईसाई धर्म के अनुरूप रखें ताकि समाज में भ्रम की स्थिति न बने।
नेपाल से सटे हजारा क्षेत्र में चल रहा धर्मांतरण यह घटना नेपाल सीमा से सटे हजारा क्षेत्र की है, जहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि नेपाल से कुछ पादरी आकर गांवों में मतांतरण का काम कर रहे हैं। रविवार को प्रार्थना सभा के नाम पर लोगों को इकट्ठा कर उन्हें लालच दिया जाता है ताकि वे धर्म परिवर्तन कर लें। पिछले छह महीनों में चार स्थानों पर पुलिस ने भी कार्रवाई की है। 12 साल पहले, इन्हीं पादरियों के प्रभाव में आकर नौ सिख परिवार ईसाई बन गए थे।
सिख बहुल गांव में घूम कर रच रहे मत्तांतरण की साजिश गुरुद्वारा गुरु श्रीसिंह सभा, नानकनगरी बैल्हा के अध्यक्ष गुरुदयाल सिंह ने कहा कि ये परिवार सीमावर्ती सिख बहुल गांवों में घूम-घूमकर अन्य लोगों को भी मतांतरण के लिए उकसा रहे हैं। हालांकि वे ईसाई बन चुके हैं, लेकिन वेशभूषा से खुद को सिख के रूप में पेश करते हैं, जो कि एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा है। गुरुद्वारा कमेटी और सिख समाज द्वारा जारी पत्र में यह स्पष्ट किया गया है कि इन परिवारों के लिए गुरुद्वारा के ग्रंथी द्वारा किसी भी प्रकार का धार्मिक कार्यक्रम, जैसे विवाह या मृत्यु संस्कार, नहीं किया जाएगा। उन्हें श्मशान घाट में अंतिम संस्कार का भी अधिकार नहीं मिलेगा। कमेटी अध्यक्ष गुरुदयाल सिंह ने बताया कि इस मामले की जानकारी जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) को भी भेजी गई है ताकि क्षेत्र में मतांतरण का यह षड्यंत्र सफल न हो पाए।