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खूनी रंजिश: 32 साल, एक परिवार और चार कत्ल, राजनीति में आपसी रंजिश का खौफनाक इतिहास

खदरा इलाके के गजनेरा गांव में एक ही परिवार के चार सदस्यों की 32 वर्षों में हत्या हो चुकी है। यह परिवार वर्षों से आपसी रंजिश और राजनैतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते लगातार हिंसा का शिकार होता रहा है।

बरेलीNov 06, 2024 / 12:06 pm

Avanish Pandey

बरेली। गजनेरा इलाके के खदरा गांव में एक ही परिवार के चार सदस्यों की 32 वर्षों में हत्या हो चुकी है। यह परिवार वर्षों से आपसी रंजिश और राजनैतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते लगातार हिंसा का शिकार होता रहा है। परिवार का कहना है कि आरोपी पक्ष के लोग इलाके में दबंगई करते हैं और अपने विरोधियों को उभरने नहीं देना चाहते हैं।

1992 में हुई थी सुरेश पाल की पहली हत्या

गेंदनलाल, जो मृतक पुष्पेंद्र के तहेरे भाई हैं, बताते हैं कि इस खूनी सिलसिले की शुरुआत 1992 में हुई थी, जब उनके तहेरे भाई सुरेश पाल गंगवार की हत्या की गई और शव को नदी में फेंक दिया गया। इसके दो साल बाद, 1994 में उनके चाचा राम भरोसे लाल की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई। राम भरोसे लाल को उनके खेत से लौटते वक्त घेरकर सीने में गोलियां मारी गईं। घटना के वक्त उनका बच्चा भी उनके साथ था, जो भाग निकला, लेकिन उस पर भी गोलियां चलाई गईं।

रंजिश का तीसरा शिकार: विनोद

2021 में मृतक पुष्पेंद्र के छोटे भाई विनोद को भी बीच चौराहे पर गोली मार दी गई थी। विनोद अपने घर लौट रहे थे, तभी हिस्ट्रीशीटर पूरनलाल के रिश्तेदारों ने घेरकर उन पर गोलियां चलाईं। इस मामले में पुष्पेंद्र ने मुकदमा दर्ज कराया था और वह केस फिलहाल कोर्ट में विचाराधीन है। 7 नवंबर को इस केस का फैसला आना था, लेकिन उससे पहले ही आरोपियों ने पुष्पेंद्र को भी मौत के घाट उतार दिया।

धमकियों का इतिहास और पुलिस की निष्क्रियता

पुष्पेंद्र के परिवार का कहना है कि आरोपियों ने पहले ही उन्हें जान से मारने की धमकी दी थी। इस बात का वीडियो सबूत भी उनके पास है, जिसे पुलिस को दिखाकर शिकायत की गई थी। अगर पुलिस ने पहले ही एक्शन लिया होता, तो इस घटना को रोका जा सकता था। परिवार का आरोप है कि पुलिस मामले को गंभीरता से नहीं लेती, जिसके चलते लगातार हत्याएं हो रही हैं।

राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और रंजिश की जड़ें

परिवार के अनुसार, हिस्ट्रीशीटर पूरनलाल के परिवार के लोग गांव की प्रधान और जिला पंचायत सदस्य जैसे पदों पर रह चुके हैं। जब विनोद ने प्रधानी का चुनाव लड़ने की तैयारी की, तो इसे लेकर भी आरोपियों में नाराजगी बढ़ी और उनकी हत्या कर दी गई। स्वजन का कहना है कि आरोपियों की मंशा है कि उनके परिवार से कोई आगे न बढ़े, इसलिए एक के बाद एक हत्या की जा रही है।

पुलिस पर लापरवाही का आरोप

स्वजन का आरोप है कि भुता पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया। मृतक पुष्पेंद्र के साले पवन गंगवार, जो मेरठ में एक पुलिस उप-निरीक्षक हैं, ने कहा कि जब पुष्पेंद्र को धमकियां मिल रही थीं, तब उन्होंने भुता थाने के इंस्पेक्टर से मदद मांगी थी, लेकिन पुलिस ने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया, जिसके चलते यह घटना घटी।

पांच-छह संदिग्ध हिरासत में, गिरफ्तारी में जुटी पुलिस

बुधवार सुबह तक पुलिस ने मामले से जुड़े पांच-छह लोगों को हिरासत में लिया और उनसे पूछताछ की जा रही है। एसएसपी अनुराग आर्या ने घटना के खुलासे के लिए पांच टीमें गठित की हैं, जिनमें एसओजी और स्थानीय पुलिस शामिल है। जल्द ही सभी आरोपियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित करने का वादा किया गया है।

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