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बरेली

बिजली कटौती से परेशान अधिवक्ता ने अफसरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने को कोर्ट में दी अर्जी, हाईकोर्ट की अवमानना

न्यायालय परिसर में बिजली कटौती से परेशान अधिवक्ता ने अफसरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने को कोर्ट में अर्जी दी। उन्होंने बुधवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट में 156 (3) सीआरपीसी के अंतर्गत शिकायती पत्र दिया।

बरेलीMay 30, 2024 / 12:23 pm

Avanish Pandey

बरेली। न्यायालय परिसर में बिजली कटौती से परेशान अधिवक्ता ने अफसरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने को कोर्ट में अर्जी दी। उन्होंने बुधवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट में 156 (3) सीआरपीसी के अंतर्गत शिकायती पत्र दिया। उसमें लिखा कि न्यायालय परिसर में निर्बाध आपूर्ति नहीं मिलने से न्यायिक कार्य प्रभावित हो रहे, जोकि हाई कोर्ट के आदेश की उलंघना के समान है। ऐसे में बिजली विभाग के अफसरों पर मुकदमा पंजीकृत किया जाए। इस संबंध में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सौरभ कुमार वर्मा ने कोतवाली पुलिस से दस जून तक विवरण मांगा है।
सुबह 10 से शाम पांच बजे तक हुई कई बार कटौती
अधिवक्त अजय कुमार निर्मोही ने बताया कि हाई कोर्ट के निर्देश के बावजूद बिजली विभाग ने कचहरी कोर्ट परिसर में अलग फीडर से आपूर्ति सुचारू नहीं कराई है। इसके परिणामस्वरूप बार-बार घोषण किये बिना कटौती होती है। बुधवार को सुबह 10 से शाम पांच बजे तक कई बार कटौती हुई, इससे न्यायिक कार्य करने में असुविधा हुई। अधिवक्ताओं के साथ-साथ न्यायिक अधिकारियों को भी असुविधा का सामना करना पड़ा। उन्हें हवा, पानी व रोशनी की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। न्यायिक कार्य बाधित होने से वादकारों को समुचित न्याय मिलने में बाधा आ रही, भीषण गर्मी के कारण वे भी व्याकुल दिखते हैं। कई दिन से यही क्रम चल रहा। बहुत परेशानी झेलनी पड़ती है।
इन परिस्थितियों के जिम्मेदार हैं बिजली विभाग के उच्च अधिकारी
ऐडवोकेट ने लिखा कि इन परिस्थितियों के जिम्मेदार बिजली विभाग के उच्च अधिकारी हैं। इस प्रकरण में बिजली विभाग के अधिशासी अभियंता, सहायक अभियंता व अवर अभियंता के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया जाए। उनके इस प्रार्थना पत्र पर कोर्ट ने रिपोर्ट मांगी है। 10 जून को रिपोर्ट आने के बाद कोर्ट अग्रिम कार्रवाई करेगा। बता दें कि 156 (3) सीआरपीसी के अंतर्गत कोई भी वादी सीधे कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर मुकदमे की मांग कर सकता है। इस पर कोर्ट संबंधित पुलिस से रिपोर्ट मांगता है। उस आख्या का अवलोकन करने के बाद कोर्ट तय करता है कि मुकदमे का आदेश दिया या नहीं।

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