बारां

इस बार शिव-सिद्ध योग में दो दिन तक मनाएंगे बसंत पंचमी

बसंत पंचमी प्रमुख त्योहार है, जो मुख्य रूप से देवी सरस्वती के लिए समर्पित होता है। माना जाता है कि इस दिन पर माता सरस्वती की पूजा-अर्चना से साधक को शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।

बारांJan 25, 2025 / 11:22 am

mukesh gour

बसंत पंचमी प्रमुख त्योहार है, जो मुख्य रूप से देवी सरस्वती के लिए समर्पित होता है। माना जाता है कि इस दिन पर माता सरस्वती की पूजा-अर्चना से साधक को शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।

सुबह 9.14 से दोपहर 12.11 बजे तक रहेगा सरस्वती पूजा का मुहूर्त

बारां. बसंत पंचमी प्रमुख त्योहार है, जो मुख्य रूप से देवी सरस्वती के लिए समर्पित होता है। माना जाता है कि इस दिन पर माता सरस्वती की पूजा-अर्चना से साधक को शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को बसंत पंचमी मनाई जाती है। इसी दिन से भारत में वसंत ऋतु का आरंभ होता है। बसंत पंचमी की पूजा सूर्योदय के बाद और दिन के मध्य भाग से पहले की जाती है। इस समय को पूर्वाह्न भी कहा जाता है। इस साल 2 फरवरी को बसंत पंचमी मनाई जाएगी।
पं. जर्नादन शुक्ला के अनुसार यदि पंचमी तिथि दिन के मध्य के बाद शुरू हो रही है तो ऐसी स्थिति में बसंत पंचमी की पूजा अगले दिन की जाएगी। हालांकि यह पूजा अगले दिन उसी स्थिति में होगी जब तिथि का प्रारंभ पहले दिन के मध्य से पहले नहीं हो रहा हो, यानि पंचमी तिथि पूर्वाह्नव्यापिनी न हो। बाकी परिस्थितियों में पूजा पहले दिन ही होगी। इसी वजह से कभी-कभी पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी चतुर्थी तिथि को भी पड़ जाती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बसंत पंचमी के दिन देवी रति और भगवान कामदेव की षोडशोपचार पूजा करने का भी विधान है। इस वजह से 2 फरवरी की सुबह 9.14 बजे से पंचमी तिथि लगेगी जो दूसरे दिन प्रात: 06.53 बजे तक है। इस वर्ष पंचमी तिथि का क्षय होने से बसंत पंचमी का त्योहार इस दिन ही मनाया जाएगा। इस वर्ष शिव एवं सिद्ध योग के शुभ संयोग में बसंत पंचमी का त्योहार मनेगा। विद्या और ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती की शहर सहित जिलेभर में आराधना की जाएगी। इस वर्ष बसंत पंचमी के अवसर पूजा-अर्चना, अभिषेक और हवन का आयोजन 2 फरवरी को पूर्ण वैदिक विधि-विधान से होगा। इस अवसर पर मां सरस्वती को 56 भोग भी अर्पित किए जाएंगे। कार्यक्रम की शुरुआत सुबह पूजा-अर्चना से होगी, जिसके बाद सरस्वती यज्ञ, शाम को महाआरती के साथ भजन संध्या और महाप्रसादी का आयोजन होगा।

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