करोड़ों रूपए खर्च कर दिए हुजूर, अब तो नजरें इनायत कीजिए
पंचायत समिति, रेल्वे स्टेशन जैसी सभी सुविधा हैं किन्तु बस स्टेन्ड के नाम पर कुछ भी नहीं है।
करोड़ों रूपए खर्च कर दिए हुजूर, अब तो नजरें इनायत कीजिए अन्ता. अन्ता कस्बे में करोड़ों रूपए की लागत से एनटीपीसी द्वारा निर्मित गैस विद्युुत संयंत्र सहित कृषि विज्ञान केन्द्र, आईटीआई, पुलिस उपाधीक्षक कार्यालय, पंचायत समिति, रेल्वे स्टेशन जैसी सभी सुविधा हैं किन्तु बस स्टेन्ड के नाम पर कुछ भी नहीं है। ऐसे में यात्रियों को सर्दी, गर्मी एवं बरसात में सड़क किनारे धूप में खड़े रहकर वाहनों का इंतजार करना होता है। यह कमी लम्बे अरसे से खल रही है। किन्तु गंभीरता से अब तक किसी ने निदान का प्रयास नहीं किया। यहां बस स्टेन्ड के लिए नगरपालिका के स्वामित्व का लम्बा चौड़ा परिसर है। उसके बावजूद लम्बे अरसे से बसें इस परिसर में नहीं आती। पिछले वर्षों में कई बार लाखों रूपए खर्च कर इसे बसों के आवागमन के अनुकूल बनाने का प्रयास भी हुआ। किन्तु कुछ ही दिनों बाद स्थिति पुराने ढर्ऱे पर आ गई। ऐसे में यात्रियों को राहत नहीं मिल पाई।
लम्बे अरसे से यही हालात
दशकों पूर्व लाखों रूपयों की लागत से बने अन्ता बस स्टेन्ड का उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर ने किया था। यहां कई सालों तक रोडवेज बसों का आवागमन बना रहा। टिकिट खिड़की, पेयजल व्यवस्था सहित खाने पीने की कई गुमटियां लगने लगी। बसों के आने जाने की जानकारी भी यहां यात्रियों को मिल जाया करती थी। किन्तु बाद में ऐसा ग्रहण लगा कि अचानक बस चालकों ने सड़क से मुडऩे पर आने वाली कठिनाई बताते हुए अंदर आना छोड़ दिया। अब कई बरसों से बसें निर्धारित परिसर में न आकर बाहर रोड से ही सीधे निकल जाती है। एनटीपीसी परियोजना की और से लगभग १० लाख रूपए खर्च कर यहां हुई टूटफूट की मरम्मत के लिए सीमेन्ट कंक्रीट का रोड बनाया गया। किन्तु नतीजा ढ़ाकके तीन पात रहकर यह पैसा भी पानी में चला गया। अब हालात यह हैं कि बस स्टेन्ड परिसर सूना पड़ा है। इसमें बच्चे गुल्ली डंडा एवं क्रिकेट खेलते रहते हैं। वहीं यात्री बाहर खड़े रहकर प्रशासन तथा जन प्रतिनिधियों को कोसते हैं।
(पत्रिका संवाददाता)
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