विधानसभा चुनाव में बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिले की नौ सीटों में से कांग्रेस ने पांच, भाजपा और भारत आदिवासी पार्टी ने दो-दो सीटें जीती। इसमें भाजपा के टिकट पर गढ़ी से कैलाश मीणा दूसरी बार विधायक बने और सागवाड़ा से शंकरलाल डेचा पहली बार सदन में पहुंचे। प्रदेश में भाजपा को बहुमत मिलने के बाद उम्मीद थी कि दूसरी बार लगातार विधायक बनने के आधार पर मीणा या नए चेहरे के रूप में शंकरलाल को मंत्रिमंडल में सम्मिलित किया जाएगा, किंतु शनिवार को मंत्रिमंडल गठन के बाद यह उम्मीदें धराशायी हो गई। पांच चुनावों में ऐसा पहली बार हुआ है कि वागड़ से मंत्रिमंडल में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।
डूंगरपुर का बढ़ा इंतजार
इधर, डूंगरपुर जिले का मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व का इंतजार और बढ़ गया है। 2013 में चौरासी विधायक को राज्यमंत्री बनाया गया था। इसके बाद 2018 में डूंगरपुर सीट से कांग्रेस से एक विधायक बने। उन्हें संगठन में दायित्व दिया, किंतु सरकार में शामिल नहीं किया। इस बार हुए चुनाव में भाजपा सागवाड़ा सीट से ही जीत पाई।
अब विस्तार पर आस
प्रदेश मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री, दो उप मुख्यमंत्री, केबिनेट, राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और राज्यमंत्री सहित कुल 25 सदस्य हो गए हैं। विधानसभा सीटों के आधार पर मंत्रिमंडल की संख्या 30 होती है। ऐसे में अब आने वाले समय में शेष पांच पदों के लिए होने वाले विस्तार में वागड़ को प्रतिनिधित्व मिलने की आस बंधी है।
खराड़ी से मिले संकेत
मंत्रिमंडल गठन में जातिगत समीकरण साधे गए हैं। शपथ लेने वाले मंत्रियों में केबिनेट मंत्री के रूप में पहले झाड़ोल के बाबूलाल खराड़ी और बाद में प्रतापगढ़ से निर्वाचित हेमंत मीणा का नाम आने के साथ संकेत मिल गए थे कि नौ में से महज दो सीटें देने वाले वागड़ को मंत्रिमंडल में स्थान मिलना मुश्किल है।
संभाग से एक मंत्री
संभागवार देखें तो बांसवाड़ा संभाग को हेमंत मीणा के रूप में एक केबिनेट मंत्री मिला है। जबकि पिछली कांग्रेस सरकार में बांसवाड़ा जिले से ही दो मंत्री थे और उदयपुर, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, राजसमंद और चित्तौड़गढ़ खाली हाथ थे।
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अब तक यह था रिवाज
प्रदेश में गत चार चुनाव से भाजपा और कांग्रेस की सरकार में बांसवाड़ा को मंत्रिमंडल में स्थान मिलना मानो एक रिवाज सा बन गया था, किंतु इस बार यह रिवाज बदल गया। 2003 में भाजपा सरकार में बांसवाड़ा से भवानी जोशी को राज्यमंत्री और डूंगरपुर की सागवाड़ा सीट से विधायक बने कनकमल कटारा को केबिनेट मंत्री बनाया गया था। 2008 में कांग्रेस सरकार में बांसवाड़ा की बागीदौरा से विधायक चुने गए महेंद्रजीतसिंह मालवीया को केबिनेट मंत्री बनाया गया। सत्ता परिवर्तन के बाद 2013 में भाजपा सरकार में बांसवाड़ा की गढ़ी सीट से पहले जीतमल खांट को और बाद में बांसवाड़ा से धनसिंह रावत को राज्यमंत्री बनाया। वहीं डूंगरपुर की चौरासी सीट से सुशील कटारा को बतौर राज्यमंत्री मंत्रिमंडल में स्थान मिला। 2018 में कांग्रेस सरकार में बांसवाड़ा से अर्जुनसिंह बामनिया को राज्यमंत्री बनाया। वहीं दो-ढाई वर्ष बाद हुए मंत्रिमंडल विस्तार में मालवीया को केबिनेट मंत्री बनाया था।